सर्दियों का मौसम आते ही बाजार हरी मटर से भर जाते हैं. मटर पुलाव, मटर-पनीर, आलू-मटर सबकी प्लेट में छाए रहते हैं. स्वाद और पौष्टिकता के मामले में मटर बेजोड़ है, लेकिन हर अच्छी चीज की एक सीमा होती है. कुछ लोगों के लिए ज्यादा हरी मटर खाना गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है. डॉक्टर्स और न्यूट्रिशनिस्ट बार-बार चेतावनी देते हैं कुछ लोगों को मटर से दूरी बनाना ही बेहतर है.
हरी मटर में रैफिनोज नामक कार्बोहाइड्रेट होता है जिसे पचाने के लिए आंत में खास एंजाइम की जरूरत पड़ती है. हमारे शरीर में यह एंजाइम कम होता है, इसलिए मटर खाने से गैस, पेट फूलना, ऐंठन और दर्द शुरू हो जाता है. IBS या बार-बार ब्लोटिंग वाले लोग तो बिल्कुल परहेज करें.
मटर में प्यूरीन की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है. प्यूरीन शरीर में यूरिक एसिड बनाता है. जिन्हें पहले से किडनी स्टोन या गाउट की शिकायत है, उनके जोड़ों में सूजन और दर्द बढ़ सकता है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि ऐसे मरीज हफ्ते में 50 ग्राम से ज़्यादा मटर न खाएं.
हरी मटर में स्टार्च की मात्रा अच्छी-खासी होती है जो ब्लड शुगर तेज़ी से बढ़ा सकती है. टाइप-२ डायबिटीज वाले लोगों को मटर बहुत कम मात्रा में और सिर्फ़ साबुत दाने की तरह खाना चाहिए, प्यूरी या ग्रेवी में नहीं.
जिनका पाचन पहले से कमज़ोर है या जो बार-बार लूज़ मोशन की शिकायत रखते हैं, उन्हें कच्ची या अर्ध-पकी मटर बिल्कुल नहीं खानी चाहिए. इसमें मौजूद फाइबर और एंटी-न्यूट्रिएंट्स पेट को और परेशान कर सकते हैं.
कुछ लोगों को फलियां (दालें-मटर) से एलर्जी होती है. मटर खाने के कुछ मिनट बाद मुंह में खुजली, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ या चेहरे पर सूजन हो जाए तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. यह एनाफिलेक्सिस तक जा सकता है.
मटर में गोइट्रोजेंस होते हैं जो थायरॉइड ग्रंथि के काम में रुकावट डाल सकते हैं. रोज़ाना बड़ी मात्रा में मटर खाने से दवा का असर कम हो सकता है.
हफ्ते में २-३ बार १०० ग्राम तक मटर बिल्कुल सुरक्षित है स्वस्थ लोगों के लिए.
हमेशा अच्छी तरह पकाकर खाएं, कच्ची या हल्की पकी मटर न खाएं.
मटर के साथ जीरा, सौंफ, हींग जरूर डालें – गैस की समस्या कम होगी.