Childhood Obesity Alert: भारत में बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ रही है. गलत खान-पान और बिगड़ती लाइफस्टाइल ने बच्चों को भी मोटापे का शिकार बना दिया है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक नई स्टडी ने इस खतरे को उजागर किया है. बच्चों में मोटापा न केवल उनकी सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि डायबिटीज और दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि परिवार, स्कूल, डॉक्टर और सरकार को मिलकर तुरंत कदम उठाने की जरूरत है.
एम्स ने देशभर के 1 लाख से अधिक बच्चों का डेटा अध्ययन किया. स्टडी में पाया गया कि 5% से 15% बच्चे अधिक वजन या मोटापे का शिकार हैं. शहरी इलाकों में यह समस्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ज्यादा गंभीर है. 6 से 12 साल की उम्र के बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. स्टडी चेतावनी देती है कि बचपन में मोटापा भविष्य में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है.
बचपन में मोटापा बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. ज्यादा वजन से शरीर पर दबाव पड़ता है, जिससे कई समस्याएं हो सकती हैं:
अगर इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए, तो ये समस्याएं वयस्क होने पर और गंभीर हो सकती हैं.
एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मोटापे से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं:
बच्चों में मोटापे को रोकने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं: