चार साल बाद लौटी फैमिली मैन, क्या फैंस की उम्मीदों पर खरी हो पाएगी मनोज बाजपेयी की सीरीज

फैमिली मैन 3 आखिरकार चार साल बाद रिलीज हो चुकी है. मनोज बाजपेयी और जयदीप अहलावत की दमदार एक्टिंग इस सीजन की सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन धीमी रफ्तार शुरूआती एपिसोड्स को थोड़ा कमजोर बना देती है.

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Babli Rautela

मुंबई: मनोज बाजपेयी की सुपरहिट वेब सीरीज फैमिली मैन का पहला सीजन 2019 में आया था और उसी समय यह शो OTT की दुनिया में गेम चेंजर बन गया था. इसके बाद 2021 में दूसरा सीजन आया जिसने पहले की तरह ही दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई. लेकिन तीसरे सीजन के लिए मेकर्स ने दर्शकों से लंबा इंतजार करवाया. करीब चार साल बाद फैमिली मैन 3 आखिरकार 21 नवंबर 2025 को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है.

इस सीजन के लिए दर्शकों की उम्मीदें बहुत ऊंची थीं और ट्रेलर ने जनता का उत्साह और बढ़ा दिया था. ट्रेलर से ही साफ हो गया था कि श्रीकांत तिवारी इस बार अपनी निजी जिंदगी और अपने मिशन दोनों में बड़े संकट से जूझने वाले हैं. यही वजह है कि रिलीज के बाद लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह सीजन उम्मीदों पर कितना खरा उतरता है.

मनोज बाजपेयी की एक्टिंग ने जीता दिल

फैमिली मैन 3 की सबसे बड़ी ताकत फिर एक बार मनोज बाजपेयी का शानदार अभिनय है. श्रीकांत तिवारी का किरदार अब तक उनके करियर के सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंसेस में से एक माना जाता है और इस सीजन में भी वह अपने रोल में असाधारण पकड़ के साथ नजर आते हैं.

उनके साथ जयदीप अहलावत ने रुक्मा नाम के एक ड्रग डीलर का किरदार निभाया है और कहना गलत नहीं होगा कि जयदीप का यह रोल उनके करियर को और मजबूत बनाता है. इस सीजन में उनकी एंट्री ही कहानी में नया मोड़ लाती है और वह हर सीन में भारी पड़ते दिखते हैं. निमरत कौर सुचित्रा तिवारी प्रियमणि शारिब हाशमी जुगल हंसराज और श्रेया धनवंतरी ने भी अपने किरदारों में मजबूती दिखाई है.

धीमी रफ्तार बनी सबसे बड़ी कमजोरी

सीजन 3 में कुल सात एपिसोड हैं. कहानी की शुरुआत नॉर्थईस्ट में हुए कई बम ब्लास्ट से होती है जिससे माहौल तुरंत गंभीर हो जाता है. इसके बाद सीन सीधे श्रीकांत तिवारी की निजी जिंदगी की ओर बढ़ता है जहां वह गृहप्रवेश समारोह और अपनी पत्नी के साथ तनावपूर्ण रिश्ते से जूझ रहे हैं.

समस्या यह है कि शुरुआती तीन एपिसोड बेहद धीमे हैं. कहानी इतनी सुस्त गति से आगे बढ़ती है कि दर्शक शुरुआत में थकान महसूस करने लगते हैं. यही इस सीजन की सबसे बड़ी कमी है. अगर शुरुआत को तेज रखा जाता तो यह सीजन पहले दो सीजन की तरह ही प्रभावशाली साबित हो सकता था. तीसरे एपिसोड के बाद कहानी आखिरकार अपनी लय पकड़ती है और उसके बाद से सीरीज देखने लायक बन जाती है. एक्शन और इमोशन का सही संतुलन दिखने लगता है और श्रीकांत की बढ़ती परेशानियां कहानी में जान ला देती हैं.