Saif Ali Khan Attack: सैफ अली खान के घर में घुसकर उन पर हमला करने वाले आरोपी शरीफुल इस्लाम शहजाद मोहम्मद रोहिल्ला अमीन फकीर उर्फ बिजॉय दास के खिलाफ मुंबई पुलिस ने अलग अलग धाराओं में मामला दर्ज किया है. हालांकि, एक महत्वपूर्ण धारा—भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109—को लागू नहीं किया गया है, जिससे अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं. कानून एक्सपर्ट का मानना है कि इस धारा को लागू किया जाना चाहिए था, और इसके न लगने से मामले की गंभीरता पर असर पड़ सकता है.
मुंबई पुलिस ने आरोपी शरीफुल फकीर के खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज किया है. इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 311 (डकैती या डकैती के प्रयास के साथ हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास), धारा 312 (घातक हथियार के साथ डकैती या डकैती का प्रयास), और धारा 331 (घर में घुसपैठ) शामिल हैं. इसके अलावा, आरोपी की बांग्लादेशी नागरिकता के कारण विदेशी एक्ट, 1946 और विदेशी आदेश, 1948 के तहत भी मामले की जांच की जा रही है. इन धाराओं के तहत आरोपी को अलग अलग तरह की सजा हो सकती है, जिनमें 7 साल तक की सजा, 14 साल तक की सजा या आजीवन कारावास शामिल हैं.
FIR के मुताबिक, आरोपी ने सैफ अली खान पर घातक हमले की योजना बनाई और उनके शरीर के विशेष रूप से गर्दन और रीढ़ की हड्डी के क्षेत्रों में लगातार चाकू से वार किया. इस हमले से सैफ अली खान को गंभीर चोटें आईं, और एक चाकू रीढ़ की हड्डी में फंस गया. डॉक्टरों ने इसे एक बड़ी चोट बताया और इसे हत्या के प्रयास का स्पष्ट संकेत माना. ऐसे में भारतीय दंड संहिता की धारा 109—जो हत्या के प्रयास से संबंधित है—को जोड़ने की आवश्यकता थी, ताकि आरोपी को और भी गंभीर आरोपों का सामना करना पड़े.
भारतीय दंड संहिता की धारा 109 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे काम को जानबूझकर करता है, जिसके कारण किसी की मौत हो सकती है, तो उसे हत्या का दोषी माना जाएगा. इस अपराध के लिए आरोपी को 10 साल तक की सजा हो सकती है, और यदि पीड़ित को गंभीर चोटें आती हैं, तो उसे आजीवन कारावास या 10 साल तक की सजा हो सकती है. इस धारा का उद्देश्य ऐसे मामलों में आरोपी को सख्त सजा देना है, जहां गंभीर चोटों के बावजूद हत्या के प्रयास को साबित किया जा सकता है.
वरिष्ठ वकील सतीश मानेशिंदे का कहना है कि इस मामले में हत्या के प्रयास का आरोप जोड़ने की जरूरत है, क्योंकि आरोपी ने सैफ अली खान पर बार-बार चाकू से हमला किया. आमतौर पर चोर इतने अधिक बार हमला नहीं करते. चाकू के कई वारों और गंभीर चोटों से यह स्पष्ट होता है कि आरोपी का इरादा हत्या करने का था. दोनों वकील और दूसरे कानूनी एक्सपर्ट का मानना है कि यदि डकैती का आरोप साबित नहीं हो पाता है, तो हत्या के प्रयास का आरोप जोड़ने से मामले की ताकत बढ़ सकती है.
अगर पुलिस हत्या के प्रयास का आरोप नहीं जोड़ती, तो आरोपी के लिए सजा से बचने के रास्ते खुल सकते हैं. यदि डकैती का आरोप साबित नहीं होता है, तो मामला कमजोर हो सकता है. इसलिए, इस मामले में पुलिस की कार्रवाई को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर जब आरोपी ने जानलेवा हमला किया है और उस पर गंभीर आरोप हैं.