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India Daily

पत्रकार से सांसद तक का सफर... कौन थे फिल्मी फनकार प्रीतिश नंदी, 73 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

झंकार बीट्स, चमेली, हजारों ख्वाहिशें ऐसी जैसे पॉपुलर फिल्मों का निर्माण करने वाले फिल्म मेकर कवि और लेखक प्रीतिश नंदी का बुधवार को मुंबई में उनके घर पर हार्ट अटैक की वजह से 73 साल की उम्र में निधन हो गया.

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Edited By: Babli Rautela
Pritish Nandy Dies
Courtesy: Social Media

Pritish Nandy Dies: जाने माने फिल्म मेकर, कवि और लेखक प्रीतिश नंदी का बुधवार को मुंबई में उनके घर पर हार्ट अटैक की वजह से 73 साल की उम्र में निधन हो गया. उनकी मृत्यु की खबर ने फिल्म, साहित्य और पत्रकारिता जगत में शोक की लहर पैदा कर दी है.

प्रीतिश नंदी ने कई पॉपुलर और समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्मों का निर्माण किया, जिनमें झंकार बीट्स, चमेली, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, एक खिलाड़ी एक हसीना, अनकही, प्यार के साइड इफेक्ट्स, और बो बैरक्स फॉरएवर जैसी फिल्में शामिल हैं. उनकी फिल्मों ने न केवल मनोरंजन किया बल्कि कई बार समाजिक और भावनात्मक मुद्दों को भी उजागर किया है.

अनुपम खेर ने दी भावुक श्रद्धांजलि

प्रीतिश नंदी के निधन की खबर को उनके करीबी मित्र और अभिनेता अनुपम खेर ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के माध्यम से साझा किया. खेर ने लिखा,
'मेरे सबसे प्रिय और करीबी दोस्तों में से एक, #प्रीतिश नंदी के निधन के बारे में जानकर बेहद दुखी और स्तब्ध हूं.' खेर ने नंदी को 'बहादुर और निडर' व्यक्ति बताते हुए याद किया कि मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में वे उनके लिए सहारा और प्रेरणा का स्रोत थे. खेर ने कहा की उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा. वे यारों के यार की सच्ची परिभाषा थे.

पत्रकारिता में प्रीतिश नंदी का योगदान

पत्रकारिता जगत में भी प्रीतिश नंदी का योगदान काबिले तारीफ रहा. वरिष्ठ पत्रकार शीला भट्ट ने कहा, 'उन्होंने 80 के दशक की शुरुआत में पत्रिका पत्रकारिता में जबरदस्त ऊर्जा भरी. वे एक गेम चेंजर थे.' दिबांग ने इलस्ट्रेटेड वीकली पत्रिका को नई दिशा देने के लिए उनकी तारीफ की. उन्होंने लिखा, 'उन्होंने इसे अपने समय की सबसे प्रभावशाली पत्रिकाओं में से एक बना दिया.' 

राजनीति में भूमिका

15 जनवरी 1951 को बिहार के भागलपुर में जन्मे प्रीतिश नंदी पत्रकारिता और मीडिया जगत के जाने माने नाम थे. उन्होंने दूरदर्शन पर 'द प्रीतिश नंदी शो' भी होस्ट किया, जो 90 के दशक में काफी पॉपुलर रहा. इसके अलावा, उन्होंने 1998 से 2004 तक शिवसेना पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा सांसद के रूप में भी कार्य किया.

प्रीतिश नंदी को हमेशा उनके साहसी और बौद्धिक नजरिए के लिए याद किया जाएगा. उनके योगदान ने भारतीय सिनेमा, पत्रकारिता और साहित्य को नई ऊंचाइयां दीं. उनके निधन से जो खालीपन पैदा हुआ है, उसे भरना आसान नहीं होगा.