Happy Birthday Gulzar: हिंदी सिनेमा के महान गीतकार, कवि और फिल्मेकर गुलजार का असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है. कवि आज 18 अगस्त को केवल उनका जन्मदिन नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की एक प्रेरक कहानी का जश्न है. आज भले ही वह गीतों और कहानियों की दुनिया के सबसे चमकदार नामों में शामिल हों, लेकिन उनका सफर आसान नहीं था.
गुलजार ने अपने शुरुआती दिन मुंबई में एक मोटर गैराज में बतौर मैकेनिक काम करते हुए बिताए थे. वह कारों पर रंग चढ़ाने का काम करते थे और मानते थे कि यह काम उन्हें संतोष देता है. हालांकि, भीतर से वह हमेशा एक लेखक बनना चाहते थे. विभाजन के समय अधूरी रह गई पढ़ाई और साहित्य से दूरी ने उन्हें सालों तक विचलित किया.
मुंबई आने के बाद गुलजार की मुलाकात कृष्ण चंदर, अली सरदार जाफ़री और प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े कई दिग्गजों से हुई थी. हालांकि उन्होंने कभी भी किसी राजनीतिक दल से जुड़ाव नहीं रखा, लेकिन इन लेखकों की संगत ने उनके विचार और लेखन को नई दिशा दी.
गीतकार शैलेंद्र के माध्यम से गुलजार की मुलाकात महान फिल्मकार बिमल रॉय से हुई. यहीं से उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ आया. उन्होंने 'बंदिनी' (1963) में 'मोरा गोरा अंग लाई ले' लिखा, जिसने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिलाई है.
दिलचस्प बात यह है कि गुलजार शुरुआत में फिल्मों के लिए लंबे समय तक नहीं लिखना चाहते थे. लेकिन बिमल रॉय ने उन्हें समझाया, 'अगर तुम फिल्मों के लिए नहीं लिखना चाहते तो कोई बात नहीं, लेकिन मोटर गैराज ऐसी जगह नहीं है जहां तुम्हें अपना ध्यान लगाना चाहिए.' गुलजार ने स्वीकार किया कि यह सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और यहीं से उन्होंने सिनेमा में अपना करियर गंभीरता से अपनाया.
गुलजार का सफर सिर्फ गीत लेखन तक सीमित नहीं रहा है. उन्होंने निर्देशन, पटकथा और संवाद लेखन में भी अपनी पहचान बनाई. उनकी संवेदनशील लेखनी ने फिल्मों को नया आयाम दिया. हाल के वर्षों में भी, विशाल भारद्वाज की फिल्म रंगून में उनके गाने सुनाई दिए.
83 सालों की उम्र में भी गुलजार उसी जुनून और ऊर्जा के साथ लिखते हैं. उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सही प्रेरणा और मार्गदर्शन इंसान की जिंदगी बदल सकता है.