menu-icon
India Daily

Hollywood Walk of Fame: दीपिका पादुकोण नहीं ये है पहली भारतीय हस्ती जो हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में हुई थी शामिल

Hollywood Walk of Fame: हॉलीवुड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 2026 के लिए वॉक ऑफ फेम में शामिल होने वाली हस्तियों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का नाम भी शामिल है, जिन्हें उनकी हॉलीवुड फिल्म XXX: रिटर्न ऑफ जेंडर केज के लिए जाना जाता है.

auth-image
Edited By: Babli Rautela
Hollywood Walk of Fame
Courtesy: Social Media

Hollywood Walk of Fame: 2 जुलाई 2025 को हॉलीवुड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने 2026 के लिए वॉक ऑफ फेम में शामिल होने वाली हस्तियों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का नाम भी शामिल है, जिन्हें उनकी हॉलीवुड फिल्म XXX: रिटर्न ऑफ जेंडर केज के लिए जाना जाता है. दीपिका को इस सम्मान के लिए बधाई मिल रही है, लेकिन कुछ लोगों ने गलती से उन्हें पहली भारतीय हस्ती बताया. सच यह है कि यह उपलब्धि 65 साल पहले साबू दस्तगीर ने हासिल कर ली थी. 

1960 में हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में साबू दस्तगीर का नाम शामिल किया गया, जो इस सम्मान को पाने वाले पहले और उस समय एकमात्र भारतीय थे. 1924 में मैसूर के करपुर में जन्मे साबू एक महावत के बेटे थे. 1937 में अमेरिकी फिल्म मेकर रॉबर्ट फ्लेहर्टी ने उन्हें रुडयार्ड किपलिंग की कहानी टूमाई ऑफ द एलिफेंट्स पर आधारित फिल्म एलिफेंट बॉय के लिए चुना. 13 साल की उम्र में साबू ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया. 1938 में वे फिल्म द ड्रम के साथ हॉलीवुड पहुंचे और 1940 में द थीफ ऑफ बगदाद में अबू के रोल ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. 

हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में पहले भारतीय

साबू ने जंगल बुक (1942) में मोगली, अरेबियन नाइट्स, व्हाइट सैवेज और कोबरा वूमन जैसी हिट फिल्मों में काम किया. किशोरावस्था में वे हॉलीवुड के सबसे पॉपुलर गैर-श्वेत एक्टर्स में से एक थे. उनकी 'प्राकृतिक अभिनय शैली और आकर्षक मुस्कान' ने दर्शकों और समीक्षकों को प्रभावित किया. 1944 में अमेरिकी नागरिकता लेने के बाद, साबू ने द्वितीय विश्व युद्ध में यूएस आर्मी एयर फोर्स में टेल गनर के रूप में सेवा की और डिस्टिंग्विश्ड फ्लाइंग क्रॉस पुरस्कार जीता.  

भारतीय सिनेमा में अधूरी रह गई चाहत  

1957 में महबूब खान ने साबू को मदर इंडिया में बिरजू के रोल के लिए चुना था, लेकिन अमेरिकी नागरिकता के कारण वर्क परमिट न मिलने से यह मौका सुनील दत्त को मिला. साबू कभी भारतीय फिल्मों में काम नहीं कर सके. 1963 में, मात्र 39 साल की उम्र में, लॉस एंजिल्स में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. उनकी आखिरी फिल्म ए टाइगर वॉक्स (1964) उनकी मृत्यु के बाद रिलीज हुई.  

साबू ने पश्चिम में भारतीय प्रतिभा की नींव रखी. द थीफ ऑफ बगदाद और रैम्पेज (1963) जैसी फिल्मों ने उन्हें हॉलीवुड में स्थापित किया. उनकी मृत्यु के बाद कबीर बेदी, ओम पुरी और अमरीश पुरी जैसे अभिनेताओं ने हॉलीवुड में छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाईं. लेकिन ऐश्वर्या राय और प्रियंका चोपड़ा के मुख्य किरदारों और इरफान खान के शानदार करियर तक भारतीय अभिनेताओं को साबू जैसी प्रमुखता नहीं मिली. साबू ने न केवल भारतीय संस्कृति को पश्चिमी दर्शकों तक पहुंचाया, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी दी.