बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार दीपिका पादुकोण के लिए अब सफलता का मतलब बदल चुका है. कभी सफलता का अर्थ था चमकदार गाड़ियां, आलीशान घर और ग्लैमरस जीवनशैली, लेकिन अब उनके लिए यह सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि मन की शांति का नाम है. ग्लोबल लीडरशिप समिट में दीपिका ने खुलकर बताया कि किस तरह अवसाद और चिंता से लड़ते हुए उन्होंने सफलता की असली परिभाषा को समझा- 'स्वस्थ मन ही सच्ची जीत है.'
दीपिका ने कहा कि बचपन में उनकी सफलता का पैमाना बाहरी चीजों से तय होता था- किसी के पास कौन सी कार है, किसके घर कितनी सुविधा है या कौन क्या लंच लेकर स्कूल आया है. उन्होंने कहा, 'अगर कोई दोस्त विदेश से चॉकलेट लाता था, तो लगता था कि वही अमीर और सफल है.'
दीपिका ने कहा कि उम्र और अनुभव के साथ उनकी सोच बदली. एक्ट्रेस ने कहा 'अब मेरे लिए सफलता का मतलब है कि मैं सुबह जागूं और मुझे चिंता या अवसाद न महसूस हो. अगर मेरा मन और शरीर संतुलित हैं, तो वही सच्ची सफलता है.' उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को जीवन की सबसे जरूरी संपत्ति बताया.
दीपिका ने कहा कि आज के दौर में समय सबसे दुर्लभ और कीमती चीज है. “मेरे लिए अब सफलता यह है कि मैं अपना समय किसके साथ और कैसे बिताती हूं. जिस पल को मैं सच में महसूस कर पाऊं, वही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है.”
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अवसाद पर बात की, तो लोग उनकी नीयत पर शक करने लगे. “कई लोगों ने कहा कि मैं किसी दवा कंपनी के लिए प्रचार कर रही हूं या फिल्म प्रमोशन कर रही हूं. लेकिन हमने ईमानदारी से काम किया और लोगों तक सही संदेश पहुंचाया.”
दीपिका ने याद किया कि 16 साल की उम्र में परिवार छोड़कर मुंबई आना उनके जीवन का सबसे बहादुर कदम था. उन्होंने कहा, 'जब सब एक दिशा में चलते हैं, मैं अक्सर दूसरी दिशा में जाने की हिम्मत करती हूं- यही मेरी पहचान है.'