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बंगाल की टेलीविजन स्टार श्राबोनी बोनिक का निधन, लंबे समय से फेफडों के कैंसर से रही थी जूझ

बंगाली टेलीविजन एक्ट्रेस श्राबोनी बनिक का फेफड़ों के कैंसर से लंबी जंग के बाद निधन हो गया. वह पिछले कुछ हफ्तों से अस्पताल में भर्ती थीं. उनकी मौत की खबर से बंगाली टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर फैल गई है.

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Edited By: Babli Rautela
बंगाल की टेलीविजन स्टार श्राबोनी बोनिक का निधन, लंबे समय से फेफडों के कैंसर से रही थी जूझ
Courtesy: Instagram

बंगाली टेलीविजन इंडस्ट्री से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है. मशहूर एक्ट्रेस श्राबोनी बनिक का निधन हो गया है. वह लंबे समय से पल्मोनरी एडेनोकार्सिनोमा यानी फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही थीं. बीमारी आगे बढ़कर मेटास्टेसिस में बदल चुकी थी, जिसके चलते उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी.

पिछले कुछ हफ्तों से श्राबोनी बनिक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी, लेकिन उनकी हालत में खास सुधार नहीं हो पाया. सोमवार सुबह करीब नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर सामने आते ही इंडस्ट्री और फैंस में गहरा शोक फैल गया.

बेटे ने मां के इलाज के लिए मांगी थी मदद

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्राबोनी बनिक के बेटे अच्युत आदर्श ने अपनी मां के इलाज के लिए सोशल मीडिया पर आर्थिक मदद की अपील की थी. इलाज का खर्च काफी ज्यादा हो गया था और परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा था. बेटे की इस अपील ने कई लोगों को भावुक कर दिया था.

श्राबोनी बनिक के बेटे ने सात सितंबर को फेसबुक पर एक लंबी और भावुक पोस्ट लिखी थी. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि बच्चों को अपनी मां को हमेशा अजेय और मजबूत समझने की सीख दी जाती है. लेकिन जब बीमारी इस भ्रम को तोड़ देती है तब इंसान को मां की इंसानियत उनका संघर्ष और उनकी कमजोरी में छुपी ताकत दिखाई देती है. यह पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब शेयर की गई थी.

कीमोथेरेपी के बाद भी नहीं टूटा हौसला

अपने पोस्ट में अच्युत आदर्श ने अपनी मां के पहले कीमोथेरेपी सेशन का भी जिक्र किया था. उन्होंने लिखा था कि उन्होंने उस दिन हार नहीं बल्कि जीत देखी. थकी हुई मुस्कान में भी जीने की आग थी. उनके शब्दों में यह लड़ाई सिर्फ कैंसर से नहीं बल्कि जिंदगी के मायने समझने की थी.

आजकल से बातचीत में डायरेक्टर बाबू बनिक ने बताया कि श्राबोनी बनिक की मौत से हर कोई स्तब्ध है. उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से उनकी दोस्त थीं और पिछले काफी समय से बीमारी के कारण काम से दूर थीं. उनके आखिरी दिन बेहद दर्द और तकलीफ में गुजरे.