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किसानों के लिए 'मौत का फरमान' है बीजेपी के संकल्प पत्र में शामिल नैनो यूरिया, हुआ बड़ा खुलासा?

बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में किसानों की आय को बढ़ाने और जमीन की रक्षा करने के लिए नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात कही है.

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India Daily Live

रविवार को बीजेपी ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया. घोषणा पत्र में बीजेपी ने देश की जनता से कई अहम वादे किए हैं, जिसमें अगले 5 सालों तक मुफ्त राशन, 70 साल से ऊपर के लोगों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करना, गरीबों को 3 करोड़ पक्के मकान देना जैसे वाले शामिल हैं. इन वादों में एक वादा नैनो यूरिया और प्राकृतिक खेती से जमीन को सुरक्षित करने का भी है, जिस पर बात करना बेहत जरूरी है.

नैनो यूरिया के इस्तेमाल से कम हो रही फसल की उपज
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में जिस नैनो यूरिया को बढ़ावा देने की बात की है. उस नैनो यूरिया को लेकर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) के शोधकर्ताओं ने कुछ महीनों पहने बड़ा खुलासा किया था. शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में पाया कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल से फसलों की उपज कम हो रही है.

स्टडी के मुताबिक नैनो यूरिया के उपयोग से गेहूं की पैदावार में 21.6 प्रतिशत और चावल की पैदावार में 13 प्रतिशत की कमी आई है. यह अध्ययन पीएयू में वरिष्ठ मृजा रसायनज्ञ राजीव सिक्का  और नेनोसाइंस के सहायक प्रोफेसर अनु कालिया ने 2020-21 और 2021-22 में किया था. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से मिट्टी में नाइट्रोजन मात्रा में कमी आई है जो प्रोटीन उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है.

बता दें कि जून 2021 में भारतीय किसान और उर्वरक सहकारी  (IFFCO) ने नैनो तरल यूरिया लॉन्च किया था जिसमें दावा किया गया था कि नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर स्प्रे बोतल पारंपरिक उर्वरक के 45 किलोग्राम बैग के बराबर ही काम करती है जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसे बढ़ावा देने का काम किया.

बता दें कि यूरिया सबसे अधिक नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों में से एक है जो मिट्टी में आसानी से अमोनिया में परिवर्तित हो जाता है और पौधों के लिए एक आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट का काम करता है, जबकि इफको के अनुसार, नैनो यूरिया में नाइट्रोजन कणिकाओं के रूप में होती है जो कागज की शीट से सौ-हजार गुना अधिक महीन होती है.

लोगों को नहीं मिलेगा पूरा प्रोटीन
वैज्ञानिकों के अनुसार नैनो यूरिया के इस्तेमाल से उपज में कमी आई है और चावल और गेहूं में नाइट्रोजन की क्रमश 17 और 11.5 प्रतिशत की कमी आई है.
नाइट्रोजन की कमी से अनाज में प्रोटीन कम हो जाता है. ऐसा होने से  भारत के लोगों को अनाज खाने से कम प्रोटीन मिलेगा जिस पर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है.

नैनो यूरिया से बढ़ी किसानों के लिए खेती की लागत
वैज्ञानिक सिक्का ने कहा कि नैनो यूरिया फॉर्मुलेशन की लागत दानेदार लागत की तुलना में 10 गुना अधिक है जिससे किसानों की खेती की लागत बढ़ रही है.
राजीव सिक्का ने कहा कि मिट्टी में नाइट्रोजन का भंडार सीमित है और यह लगातार कम हो रहा है.  यदि आप पत्तियों पर नैनो यूरिया का छिड़काव करते हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन की भरपाई नहीं करते हैं तो  इसमें और कमी आएगी.