Sultanpur Lok Sabha Seat 2024: सुल्तानपुर के नए सुल्तान बने राम भुआल, मेनका गांधी को दी करारी हार

Sultanpur Lok Sabha Seat 2024 Results: सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर मेनका गांधी का दबदबा है. 2019 में जीत का अंतर इस ओर इशारा कर रहा था कि इस सीट पर भी सेंध लग चुकी है. आइए जानते हैं इस बार क्या नतीजा रहा.

Imran Khan claims
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Sultanpur Lok Sabha Seat 2024 Results: सुल्तानपुर मेनका गांधी और वरुण गांधी का गढ़ रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर इस लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरी थीं. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम भुआल निषाद ने उन्हें बड़े अंतर से शिकस्त दी है. रामभुआल को 444330 वोट हासिल हुए. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी 401156 वोट ही हासिल कर सकीं. तीसरे स्थान पर बहुजन समाज पार्टी के उदराज वर्मा रहे. उदराज को 163025 वोट प्राप्त हुए. इसके अलावा इस सीट पर कुल 18 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. 

क्या हैं स्थानीय मुद्दे?

सुल्तानपुर में विकास स्थानीय मुद्दा है. मेनका गांधी जैसी दिग्गज नेता यहां की सांसद हैं लेकिन अब भी विकास एक बड़ी समस्या है. स्थानीय युवा रोजगार और बेहतर स्कूल चाहते हैं. ग्रामीण इलाकों में रोड कनेक्टिविटी और अस्पताल भी एक मुद्दा है. 2014 से यहां बीजेपी सरकार है, ऐसे में यहां सत्ताविरोधी लहर भी है.

सुल्तानपुर में क्या हैं जातीय समीकरण

सुल्तानपुर में दलित और ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 2,75,000 है, वहीं मुस्लिम मतदाताओं कीसंख्या 2,50,000 है. यादव वोटर 2 लाख, ठाकुर 1 लाख, वैश्व 1 लाख और कुर्मी वोटर भी इतनी ही संख्या हैं. ब्राह्मणों के बाद दूसरी सबसे प्रभावी जाति निषाद है.

2019 में कौन जीता था?

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी और बसपा कैंडिडेट चंद्रभद्र सिंह के बीच कड़ा मुकाबला था.  मेनका गांधी को कुल 4,59,196 वोट पड़े थे. उन्हें 45.91 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की थी. बसपा प्रत्याशी चंद्रभद्र सिंह को कुल 4,44670 वोट पड़े थे. कुल वोट प्रतिशत 44.43 था. साल 2019 लोकसभा चुनाव में यहां की जीत का अंतर केवल 14,526 था. इसमें कुल जिसमे से 9,771 वोट नोटा (NOTA) को पड़े थे.

लोकसभा सीट का इतिहास

साल 1952 में इस लोकसभा सीट पर पहली बार चुनवा हुए थे. तब बीवी केसकर यहां से चुने गए थे. 1957 में गोविंद मालीय, 1962 में कुंवर कृष्ण वर्मा, 1967 में गणपत सहाय, 1971 में केदार नाथ सिंह चुनाव जीते. ये सभी उम्मीदवार कांग्रेस के थे. साल 1977 में समीकरण बदले. जुल्फिकारुल्ला इस सीट से 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीते. 

1980 में गिरिराज सिंह, 1984 में राज करण सिंह, 1889 में राम सिंह चुनाव जीते. 1991 में यहां से विश्वनाथ दास, 1996 और 98 में देवेंद्र बहादुर रॉय चुने गए. दोनों बीजेपी उम्मीदवार थे. 1999 में जय बहादुर सिंह बसपा से जीते. 2004 में ताहिर खान, 2009 में संजय सिंह चुने गए साल 2014 में वरुण गांधी और 2019 में मेनका गांधी इस सीट से चुनी गईं.

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