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कभी दिल्ली, तो कभी लखनऊ की राजनीति... आखिर इतने कन्फ्यूज क्यों रहते हैं अखिलेश यादव?

Kannauj Lok Sabha Seat: समाजवादी पार्टी के मुखिया, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव संसद और विधानसभा चुनाव को लेकर कन्यूजन में लगते हैं. वे कभी लोकसभा चुनाव, तो कभी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर जाते हैं. फिलहाल, अखिलेश उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष हैं. खबर है कि वे एक बार फिर राज्य की राजनीति छोड़ दिल्ली की राजनीति में एक्टिव होना चाहते हैं. इसके लिए वे कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, समाजवादी पार्टी ने इस सीट से अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया है.

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Kannauj Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग खत्म हो चुकी है. दूसरे चरण की वोटिंग 26 अप्रैल को होनी है. सभी पार्टियां और लोकसभा सीटों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. लेकिन  समाजवादी पार्टी यूपी की एक बड़ी सीट पर अपने प्रत्याशी को फाइनल नहीं कर पा रही है. दरअसल, कन्नौज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव को मैदान में उतार तो दिया है, लेकिन खबर है कि अखिलेश यादव अब उत्तर प्रदेश की राजनीति छोड़कर दिल्ली की राजनीति पर फोकस करना चाहते हैं. कन्नौज सीट पर चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग होनी है.

कन्नौज लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का 1998 से 2014 तक कब्जा रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने समाजवादी पार्टी के गढ़ को ध्वस्त कर जीत हासिल की थी. उन्होंने अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराया था. कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव में अखिलेश यादव कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, लिहाजा वे कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि पार्टी ने तेज प्रताप यादव को टिकट दे दिया है और यहां से प्रत्याशी बदलने का सवाल नहीं है.

आखिर कन्नौज से चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं अखिलेश?

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. अगर अखिलेश यादव इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो 25 साल के राजनीतिक करियर में ये दूसरा मौका होगा, जब वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. अब तक उन्होंने किसी सीट से उम्मीदवारी की घोषणा भी नहीं की है. अखिलेश यादव के इस फैसले को लेकर हज समिति के अध्यक्ष मोहसिन रजा ने उन पर निशाना भी साधा है और कहा है कि समाजवादी पार्टी के चीफ ने हार मान ली है और खुद चुनावी मैदान में न उतरते हुए अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दे दिया है. 

कब-कब लोकसभा-विधानसभा चुनाव के बीच डोला अखिलेश का मन

करीब साल 2000 से राजनीति में एक्टिव अखिलेश यादव ने सबसे पहले कन्नौज लोकसभा सीट पर साल 2000 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने साल 2004 और 2009 में इस सीट पर जीत दर्ज की. करीब तीन साल बाद यानी 2012 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए और 2017 तक वे इस पद पर रहे. साल 2019 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो अखिलेश फिर से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन इस बार सीट आजमगढ़ थी. उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को बड़े अंतर से हराया. फिर जब 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुआ, तो उन्होंने करहर विधानसभा सीट से ताल ठोंक दी और जीत भी दर्ज की. अब कहा जा रहा है कि एक बार फिर अखिलेश विधानसभा को छोड़ लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 

समाजवादी पार्टी ने खरीदे हैं 8 नामांकन पत्र

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, समाजवादी पार्टी ने कन्नौज सीट से 8 नामांकन पत्र खरीदे हैं. इस कदम को लेकर भी दावा किया जा रहा है कि हो सकता है कि आखिरी वक्त में अखिलेश यादव इस सीट से पर्चा भर दे और लोकसभा चुनाव के जंग में कूद जाएं. हालांकि, कन्नौज के सपा जिलाध्यक्ष कलीम खान का दावा है कि प्रत्याशी में अब बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है. तेज प्रताप यादव ही इस सीट से चुनाव लड़ेंगे और 25 अप्रैल को नॉमिनेशन फाइल करेंगे.

आखिर कब होगा आखिरी फैसला?

सूत्रों की मानें तो कन्नौज के समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता अखिलेश के अलावा यहां से कोई और उम्मीदवार नहीं चाहते हैं. खुद अखिलेश यादव भी बोल चुके हैं कि जनता जो चाहेगी, उसी के अनुसार फैसला लिया जाएगा. अब माना जा रहा है कि अखिलेश आज इटावा और सैफई जाएंगे, इसके बाद आज शाम तक इस पर आखिर फैसला लिए जाने की उम्मीद है.