Lok Sabha Elections 2024: आज के चुनाव ईवीएम के जरिए संपन्न कराए जाते हैं. इससे देश और सरकार को कई तरह के लाभ होते हैं. पहला कि चुनाव में समय की बचत, कागजों की बचत, स्याही और मैनपावर की बचत समेत सरकार को कई तरह की सुविधाएं इस मशीन के आने से मिलती हैं. लेकिन आज से 20-25 साल पहले चुनाव मतपत्रों के जरिए होते थे. इन चुनावों में कम मतदान के साथ ही बूथ कैप्चरिंग एक गंभीर समस्या थी.
ईवीएम को वोट डालने की दर को प्रति मिनट पांच तक सीमित करके ऐसी धोखाधड़ी पर अंकुश लगाया जा सका. मतदान केंद्र पर बलपूर्वक कब्जा किए जाने की स्थिति में डिवाइस को निष्क्रिय करने के लिए एक क्लोज बटन उपलब्ध है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के कारण अस्वीकृत वोटों की संख्या में भी काफी कमी आई है.
कागजी मतपत्रों के जमाने में चुनाव के समय सबसे बड़ी समस्या बूथ कैप्चरिंग की थी. ईवीएम को वोट डालने की दर को प्रति मिनट पांच तक सीमित करके ऐसी धोखाधड़ी पर अंकुश लगाया जा सका. मतदान केंद्र पर बलपूर्वक कब्जा किए जाने की स्थिति में डिवाइस को निष्क्रिय करने के लिए एक क्लोज बटन भी उपलब्ध कराया गया है. इसके बूथ कैप्चरिंग का खतरा टला.
सेंटर फार द स्टडीज आफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने अपने सर्वेक्षणों में कहा कि ईवीएम पेश किए जाने के बाद महिलाओं, अनुसूचित जातियों और जनजातियों, वरिष्ठ नागरिकों और अशिक्षित मतदाताओं जैसे कमजोर समूहों के मतदान में वृद्धि हुई है. ईवीएम ने कम पढ़े-लिखे मतदाताओं द्वारा मतदान करने की संभावना 6.4 प्रतिशत तक बढ़ा दी. इससे कमजोर समूह सशक्त हुए हैं.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के आने से अब वोट रिजेक्ट नहीं होते हैं. कागजी मतपत्र पर अस्पष्ट मोहर लगाने और दो निशान पर मोहर लगाने से मतपत्र खारिज हो जाता था. ईवीएम वोट दर्ज करने के लिए केवल एक बटन दबाना होता है. दो बटन दबाने पर जो पहले दबा उसको वोट चला जाता है. हालांकि इस मशीन में एक विकल्प NOTA आया है. अगर किसी मतदाता को किसी उम्मीदवार को वोट नहीं देना तो वह इसको चुन सकता है.
चुनाव आयोग की बेवसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में विदेशी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. देश में ईवीएम का उत्पादन दो सार्वजनिक उपक्रमों में होता है. ये दोनों सार्वजनिक उपक्रम हैं-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद.