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मेरठ में अरुण गोविल के 'अपनों' ने तोड़ा भरोसा, लौट गए मुंबई, आखिर किससे हैं नाराज?

मेरठ में जैसे ही वोटिंग हुई, अरुण गोविल ने मुंबई का रुख कर लिया. उन्होंने एक X पर एक पोस्ट किया लेकिन थोड़ी देर बाद इसे डिलीट कर दिया. क्या है माजरा, आइए समझते हैं.

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Arun Govil
Courtesy: Social Media

रामायण में राम बनकर घर-घर में लोकप्रिय हुए अरुण गोविल (Arun Govil) पहली बार चुनावी समर में उतरे तो 'अपनों' ने ही उनका भरोसा तोड़ दिया. अरुण गोविल का ऐसा दर्द छलका कि वे मुंबई रवाना हो गए. उन्हें मेरठ रास नहीं आया और अपनी मेरठ की राह पकड़ ली. रामायण स्टार ने खुद ही कह दिया कि जब किसी का दोहरा चरित्र सामने आता है तो दुख होता है. अब किसने उनका भरोसा तोड़ा है, इस पर सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं.

अरुण गोविल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, 'जब किसी का दोहरा चरित्र सामने आता है तो उससे अधिक स्वयं पर क्रोध आता है, कि हमने कैसे आंखें बंद करके ऐसे इंसान पर भरोसा किया. जय श्री राम.'
 

Arun Govil
Arun Govil

अरुण गोविल का यह ट्वीट देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोग तरह तरह के कमेंट करने लगे. अरुण गोविल ने मेरठ के नेताओं पर यह बयान दिया है. ऐसी खबरें आई थीं कि वे संगठन के असहयोग से नाराज भी हैं. अरुण गोविल के ट्वीट पर लोगों ने खूब तंज भी कसा था.

मेरठ में कहा ठहरे थे अरुण गोविल?
मेरठ में अरुण गोविल का कार्यालय कैंट इलाके के सर्कुलर रोड में था. वे सहरावत हाउस में रुके थे. मतदान खत्म होने के बाद से ही उस पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा है. लोगों ने वोटिंग खत्म होने के तत्काल बाद उनके जाने को लेकर सवाल भी उठाए हैं. अरुण गोविल अपनी पत्नी श्रीलेखा के साथ शनिवार को ही मुंबई लौट गए थे. अरुण गोविल ने जाने से पहले कहा था कि मुंबई में उन्हें कुछ जरूरी काम है इसलिए वे छोड़कर जा रहे हैं.

स्थानीय कार्यकर्ताओं से क्यों नाराज हैं अरुण गोविल?
अरुण गोविल के खिलाफ स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं में आक्रोश था. बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना था ये बाहरी प्रत्याशी हैं मेरठ में रहेंगे नहीं, उन्हें टिकट ही क्यों मिला है. वहां के लोग स्थानीय प्रत्याशी चाहते थे. कई बड़े कार्यकर्ताओं ने अरुण गोविल की कैंपेनिंग से दूरी बना ली थी. बीजेपी के इस फैसले से कार्यकर्ता भड़के हुए थे. अरुण गोविल का रुख भी कभी सधे हुए राजनेता वाला चुनाव के दौरान नजर नहीं आया. वे छोटे-छोटे सवालों से परेशान होकर रिएक्ट कर जाते थे. स्थानीय लोगों का कहना था कि वे चुनाव जीते तो भी जनता के बीच में कहां रहेंगे. ऐसे में अपने ही कार्यकर्ताओं पर अरुण गोविल ने ट्वीट किया, हालांकि वायरल होने के बाद पोस्ट हटा ली.