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वो 5 वजहें जिनकी वजह से कटा बृजभूषण सिंह का टिकट, क्या खत्म हो गया 30 सालों का दबदबा?

Reasons of Brij Bhushan Singh Ticket Canceled: उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट पर आखिरकार बीजेपी ने सस्पेंस खत्म करते हुए गुरुवार को उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया और लगातार 6 बार से सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया है. हालांकि टिकट उनके बेटे करण को मिला है, ऐसे में एक नजर उन 5 कारणों पर डालते हैं जिसकी वजह से उनकी टिकट कटी है.

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Vineet Kumar
Brij Bhusan Singh

Reasons of Brij Bhushan Singh Ticket Canceled: हफ्तों से कैसरगंज लोकसभा सीट पर चली आ रही अटकलों को खत्म करते हुए बीजेपी ने गुरुवार (2 मई 2024) को अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया और मौजूदा सांसद बृज भूषण शरण सिंह का टिकट काट कर उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से अपना लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया. 

बीजेपी ने इसके साथ ही बृजभूषण शरण सिंह के कैंप में शामिल दिनेश प्रताप सिंह को गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली से अपना उम्मीदवार बनाया है, जहां से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार पांच बार जीत चुकी हैं. सोनिया गांधी अब राज्यसभा सांसद हैं और कांग्रेस ने अभी तक इस सीट के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. ऐसे में एक नजर उन बातों पर डालते हैं जिसके चलते बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटा गया है.

यौन शोषण के आरोपों से खराब हुई छवि

लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने  महिला वोटर्स पर बड़ा दांव खेला है, जिसके चलते उसने न सिर्फ महिला वंदन बिल बल्कि अपने महिला उम्मीदवारों को भी बढ़ चढ़कर प्रचार में लगाया है. हालांकि पिछले एक-डेढ़ साल में बृज भूषण शरण सिंह का नाम काफी खराब हुआ है.

खासतौर से महिला पहलवानों की ओर से उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते देश भर में उन्हें जितना विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा उसने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है. ऐसे में महिला वोटर्स पर दांव लगा रही बीजेपी के लिए बृजभूषण को टिकट देना विपक्ष को वो मौका देने जैसा होगा जिस पर वो लगातार बैकफुट पर नजर आएगी.

यौन शोषण मामले में कोर्ट तय करेगी आरोप

पूर्व कुश्ती संघ प्रमुख पर महिला पहलवानों की तरफ से यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए हैं और कोर्ट ने इन आरोपों की जांच कराने की याचिका को 26 अप्रैल को हुई सुनवाई में खारिज कर दिया गया था. अब इस मामले पर 7 मई को सुनवाई होनी है जिसमें कोर्ट दिल्ली पुलिस की ओर से जून 2023 में दायर की गई चार्जशीट पर फैसला सुनाएगा.

एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर इस सुनवाई में आरोप तय हो जाते हैं तो इसका मतलब है कि बृजभूषण के खिलाफ पुलिस और आरोप लगाने वाले पक्ष के पास पर्याप्त सबूत हैं और उस आधार पर मुकदमा चल सकता है.

कोर्ट के फैसले का पड़ सकता है वोटिंग पर प्रभाव

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट पर लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होना है, वहीं बृजभूषण शरण सिंह के मामले में 7 मई को फैसला आना है. 7 मई को ही तीसरे फेज की वोटिंग भी है, ऐसे में अगर बृजभूषण को बीजेपी टिकट देती तो विपक्ष इसे मुद्दा बना सकता था और अगर कोर्ट का फैसला उनके खिलाफ आ गया तो उसका नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ता. ऐसे में पार्टी दोनों ही बातों से बचने की तैयारी कर रही है.

ठाकुरों का वर्चस्व, मतदाताओं को संभालने की कवायद

बीजेपी ने कैसरगंज की सीट पर अपने उम्मीदवार का ऐलान एकदम आखिरी वक्त में किया, इसका कारण सिर्फ बृजभूषण शरण सिंह का नामांकन नहीं था बल्कि ठाकुर बिरादरी भी है. पार्टी को लगातार आशंका थी कि अगर बृजभषण शरण सिंह को टिकट नहीं दिया जाता है तो ठाकुर बिरादरी नाराज हो सकती है. उत्तर प्रदेश में राजपूत (ठाकुर) वोटर्स की बात करें तो वो करीब 6-7 प्रतिशत हैं और उनका प्रभाव कैसरगंज के आस-पास की 6 सीटों पर बहुत ज्यादा है. 

30 सालों से कैसरगंज से सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट कर बीजेपी गाजियाबाद वाली गलती रिपीट नहीं करना चाहती थी. प्रदेश में बीजेपी ने ज्यादातर सीटों पर सांसदों को रिपीट किया है लेकिन गाजियाबाद से वीके सिंह का टिकट काट दिया, जिसकी वजह से वेस्ट यूपी की 27 सीटों में सिर्फ एक ही ठाकुर नेता रहा और ये इस समाज की नाराजगी का कारण बन गया. सहारनपुर से लेकर गाजियाबाद तक ठाकुर समाज ने महापंचायत कर बीजेपी के विरोध का ऐलान भी किया था. ऐसे में बीजेपी ने करण भूषण को टिकट देकर एक ही तीर से दो निशाने साधने का काम किया.

साफ छवि का फायदा और घर में पावर सेंटर

वहीं बीजेपी के लिए बृजभूषण के बेटे करण भूषण की छवि काफी साफ है. विदेश से पढ़ाई करने वाले करण नेशनल लेवल के शूटर भी रहे हैं और पिछले 5 सालों से यूपी कुश्ती संघ से जुड़े हुए हैं. इतना ही नहीं उनकी यादवों और ठाकुरों के बीच अच्छी खासी पैठ हैं और गोंडा-बहराइच में करीब 50 स्कूलों की चेन भी है.

ऐसे में बीजेपी के लिए बृजभूषण से ज्यादा उनके बेटे को टिकट देना फायदेमंद साबित हो रहा है. वहीं बृजभूषण सिंह के लिए भी कैसरगंज की सीट घर में ही रह जाएगी और उनके बेटे का भविष्य भी बतौर राजनेता शुरू हो जाएगा. ये उनका पहला चुनाव होगा.

टॉप लीडरशिप नहीं चाहता था बृजभूषण शरण सिंह को टिकट

सूत्रों की माने तो कैसरगंज सीट से लोकसभा प्रत्याशी को लेकर बीजेपी का टॉप लीडरशिप बृजभूषण शरण सिंह को नहीं चाह रहा था. इसका कारण उनके नाम के साथ जुड़ी कई सारी अनिश्चितताएं थी.

हाल ही में प्रज्वल रेवन्ना के मामले ने पहले ही बीजेपी को बैकफुट पर धकेल दिया है और अब अगर बृजभूषण शरण सिंह के लिए भी कोर्ट का फैसला कुछ ऐसा आ जाता तो उन्हें दोहरा झटका लगता और बीजेपी को महिला विरोधी होने के आरोपों का सामना करना पड़ता. इससे निपटने के लिए बृजभूषण शरण सिंह से पार्टी की टॉप लीडरशिप ने खुद उनसे बात की और उन्हें बेटे को टिकट देने के लिए मनाया.