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मोदी युग के बाद कितनी बदली है BJP की किस्मत, क्या हैं वे आंकड़े जो PM को बताते हैं मैजिकल?

1984 में दो लोकसभा सीटों से लेकर 2019 में 303 जीतने तक बीजेपी का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. हालांकि 2014 से मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने जो रफ्तार पकड़ी वो लोकसभा, कई विधानसभा चुनावों से होते हुए फिर 2024 के लोकसभा चुनाव तक पहुंच गई है.

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2014 के आम चुनावों की जीत से जो सिलसिला शुरू हुआ वो 2024 के आम चुनावों से पहले भी दिखाई दे रहा है. हम बात कर रहे हैं मोदी फैक्टर की. आप इसे मोदी लहर भी कह सकते हैं. इसी लहर की बदौलत भाजपा ने दूसरा कार्यकाल हासिल किया और अब तीसरे की ओर अग्रसर है. राष्ट्रीय राजनीति में मोदी की एंट्री ने सभी राजनीतिक पंडितों का गणित बिगाड़ कर रख दिया था. 

भाजपा की जड़ें भारतीय जनसंघ से निकली हैं. पहले लोकसभा चुनाव में जनसंघ के खाते में सिर्फ तीन सीटें आई थीं. आपातकाल के बाद हुए छठे लोकसभा चुनाव में सरकार में आने का मौका मिला. इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को पहली बार जनता पार्टी गठबंधन ने बाहर का रास्ता दिखाया. इसके बाद जनता पार्टी में विभाजन हुआ और 1980 में भाजपा का गठन हुआ. 1984 के चुनावों में दो लोकसभा सीटें मिलीं, लेकिन 1996 में वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए से हारने से पहले उसने 1998 और 1999 में गठबंधन सरकारें बनीं. 2014 में  स्पष्ट बहुमत के साथ वह फिर से सत्ता में आई.

2014 में बीजेपी ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. मोदी लहर में पार्टी को 2009 की तुलना में 9.4 करोड़ अधिक वोट मिले. 2019 में मोदी लहर ने और बेहतर प्रदर्शन किया और 2014 के मुकाबले वोट 17.2 करोड़ से बढ़कर 22.9 करोड़ हो गए. 1996 में बीजेपी को मिले वोटों की तुलना में ये 6.8 से तीन गुना अधिक था.

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Votes won by BJP since 1984

127 सीटों पर 20% का उछाल
टाइमस ऑफ इंडिया ने सीएसडीएस-लोकनीति द्वारा 2019 के बाद किए गए सर्वेक्षण के आधार पर मोदी लहर का आकलन किया है. इसमें 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव परिणामों की तुलना की गई है. इसके अनुसार, 127 सीटों पर मोदी लहर का असर देखा गया. 2009 की तुलना में 2014 में भाजपा का वोट शेयर 20% से अधिक बढ़ गया. 2009 में जहां भाजपा ने केवल पांच सीटें जीती थीं, वहां से 2014 में पार्टी ने 101 सीटें हासिल की. इन सीटों पर 'मोदी लहर' का सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला.

हालांकि यूपीए 2 सरकार के खिलाफ एक मजबूत सत्ता विरोधी लहर ने भी भाजपा का काम आसान कर दिया. कई राज्यों में स्थानीय स्तर पर हुए गठबंधन ने भी एनडीए की मदद की. लेकिन भाजपा के लिए मोदी वोटों को खींचने में सबसे बड़े फैक्टर साबित हुए.

लोकसभा-विधानसभा वोट अंतर
बीजेपी के वोट शेयर पर मोदी के प्रभाव का आकलन करने के लिए विधानसभा और संसदीय चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की तुलना की गई. 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 40 सीटें जीतीं और 34.5% वोट हासिल किए. ये चुनाव लोकसभा चुनावों के कुछ महीने बाद हुए थे.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा था. नतीजा ये रहा कि 58.2% वोट शेयर और राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. वोट शेयर में आए 21.7 प्रतिशत अंकों के अंतर का श्रेय मोदी फैक्टर को दिया जा सकता है.

Loksabha Seats won by BJP since 1984
Loksabha Seats won by BJP since 1984

सिर्फ हरियाणा ही नहीं, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के वोटों में 20% से अधिक की वृद्धि देखी गई. गोवा, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश कर्नाटक और उत्तराखंड में यह अंतर 15% से अधिक था. हालांकि बिहार और महाराष्ट्र में रफ्तार इतनी तेज नहीं दिखी. इसका कारण पार्टी के पास मजबूत स्थानीय सहयोग का ना होना रहा. कुल मिलाकर, विधानसभा और लोकसभा के बीच बीजेपी के वोटों में 4.5 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई. जो साफ तौर पर 'मोदी लहर' कहा जा सकता है.

सीएसडीएस 2019 चुनाव बाद सर्वेक्षण
2019 के लोकसभा चुनावों के बाद किए गए सीएसडीएस-लोकनीति सर्वेक्षण में 20% लोगों का कहना था कि अगर मोदी पीएम उम्मीदवार नहीं होंगे तो हम बीजेपी को वोट नहीं देंगे. अन्य 14% लोग पार्टी को वोट देंगे या नहीं इसको लेकर राय नहीं बना पा रहे थे. 2019 में, बीजेपी को लोकसभा चुनावों में 22.9 करोड़ वोट मिले. इनमें से 24.7% वोट 5.8 करोड़ वोटों में तब्दील हो गए, जो राज्य विधानसभाओं और संसद में बीजेपी के वोटों के अंतर के बराबर थे.