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India Daily

MBBS करने का है सपना? जान लें देश में कहां कितनी सरकारी और प्राइवेट सीटें, सरकार ने शेयर की पूरी डिटेल

देश में एमबीबीएस में प्रवेश को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा खुलासा किया है. लोकसभा में दिए गए जवाब में बताया गया कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 में एमबीबीएस की कुल 1,28,875 सीटें हैं

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Edited By: Reepu Kumari
MBBS Seats in India 2025
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: एमबीबीएस में दाखिला लेने का सपना देखने वाले लाखों छात्रों के लिए यह जानकारी बेहद अहम है. मेडिकल सीटों की संख्या, उनकी उपलब्धता और काउंसलिंग के बाद खाली रह जाने वाली सीटें हर साल चर्चा का विषय बनती हैं. इस बार भी केंद्र सरकार ने संसद में एमबीबीएस और मेडिकल पीजी सीटों से जुड़ा पूरा आंकड़ा पेश किया है, जिससे यह साफ हो गया है कि सीटें बढ़ने के बावजूद कुछ जगहें अब भी खाली रह जाती हैं.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी न सिर्फ छात्रों बल्कि अभिभावकों और कोचिंग जगत के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों का अनुपात, राज्यों के बीच असमानता और काउंसलिंग प्रक्रिया की सीमाएं इस रिपोर्ट के जरिए सामने आई हैं. खास बात यह है कि चार चरणों की काउंसलिंग के बाद भी 72 एमबीबीएस सीटें रिक्त रह गईं.

कुल एमबीबीएस और पीजी सीटों की स्थिति

केंद्र सरकार के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2025-26 में देशभर में एमबीबीएस की कुल 1,28,875 सीटें उपलब्ध हैं. इनमें 65,193 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में और 63,682 सीटें प्राइवेट व डीम्ड यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हैं. इसके अलावा मेडिकल पीजी की कुल 80,291 सीटें हैं, जिनमें 17,707 डीएनबी, डीआरएनबी, एफएनबी और पोस्ट एमबीबीएस डिप्लोमा सीटें शामिल हैं.

चार राउंड काउंसलिंग के बाद भी खाली सीटें

ऑल इंडिया कोटा के तहत चार राउंड की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी 72 एमबीबीएस सीटें खाली रह गईं. इनमें 26 सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों की हैं, जबकि 46 सीटें डीम्ड यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई हैं. यह स्थिति दिखाती है कि काउंसलिंग प्रक्रिया के बावजूद कुछ सीटें छात्रों की प्राथमिकता में नहीं आ पातीं या फीस और लोकेशन जैसे कारणों से खाली रह जाती हैं.

राज्यवार सरकारी और प्राइवेट एमबीबीएस सीटें

सरकार ने लोकसभा में राज्यवार एमबीबीएस सीटों का विस्तृत आंकड़ा भी रखा है. यह सूची सरकारी और निजी दोनों कॉलेजों की स्थिति को स्पष्ट करती है.

  • आंध्र प्रदेश – सरकारी 3415, प्राइवेट 3800
  • अंडमान और निकोबार – सरकारी 114, प्राइवेट 0
  • अरुणाचल प्रदेश – सरकारी 100, प्राइवेट 0
  • असम – सरकारी 1975, प्राइवेट 0
  • बिहार – सरकारी 1645, प्राइवेट 1900
  • चंडीगढ़ – सरकारी 150, प्राइवेट 0
  • छत्तीसगढ़ – सरकारी 1555, प्राइवेट 900
  • दादरा नगर हवेली – सरकारी 177, प्राइवेट 0
  • दिल्ली – सरकारी 1296, प्राइवेट 100
  • गोवा – सरकारी 200, प्राइवेट 0
  • गुजरात – सरकारी 4325, प्राइवेट 3200
  • हरियाणा – सरकारी 1060, प्राइवेट 1650
  • हिमाचल प्रदेश – सरकारी 820, प्राइवेट 150
  • जम्मू कश्मीर – सरकारी 1525, प्राइवेट 200
  • झारखंड – सरकारी 855, प्राइवेट 400
  • कर्नाटक – सरकारी 4249, प्राइवेट 9695
  • केरल – सरकारी 1855, प्राइवेट 3549
  • मध्य प्रदेश – सरकारी 3025, प्राइवेट 2700
  • महाराष्ट्र – सरकारी 6075, प्राइवेट 6749
  • मणिपुर – सरकारी 375, प्राइवेट 150
  • मेघालय – सरकारी 100, प्राइवेट 100
  • मिज़ोरम – सरकारी 100, प्राइवेट 0
  • नागालैंड – सरकारी 100, प्राइवेट 0
  • ओडिशा – सरकारी 1925, प्राइवेट 1100
  • पुडुचेरी – सरकारी 423, प्राइवेट 1450
  • पंजाब – सरकारी 999, प्राइवेट 900
  • राजस्थान – सरकारी 4630, प्राइवेट 2700
  • सिक्किम – सरकारी 0, प्राइवेट 150
  • तमिलनाडु – सरकारी 5250, प्राइवेट 7800
  • तेलंगाना – सरकारी 4390, प्राइवेट 5150
  • त्रिपुरा – सरकारी 150, प्राइवेट 250
  • उत्तर प्रदेश – सरकारी 5925, प्राइवेट 7500
  • उत्तराखंड – सरकारी 750, प्राइवेट 700
  • पश्चिम बंगाल – सरकारी 4149, प्राइवेट 2250
  • कुल – सरकारी 65193, प्राइवेट 63682

संसद में पूछे गए सवाल और सरकार का जवाब

यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में भाऊसाहेब राजाराम वाकचौरे के सवाल के जवाब में दी. प्रश्नों में सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की कुल सीटें, आवेदनों की संख्या, रिक्त सीटों की स्थिति और उन्हें भरने के लिए उठाए जा रहे कदमों का ब्योरा मांगा गया था. सरकार ने बताया कि स्थिति की समीक्षा लगातार की जा रही है.

आगे बदल सकती है प्रवेश परीक्षाओं की व्यवस्था

इसी बीच केंद्र सरकार भविष्य में जेईई मेन, नीट और सीयूईटी जैसी परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव पर भी विचार कर रही है. कोचिंग पर निर्भरता कम करने और डमी स्कूलों की समस्या से निपटने के लिए 11वीं कक्षा में ही इन परीक्षाओं को आयोजित करने जैसे प्रस्तावों पर चर्चा चल रही है. इससे मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में बड़ा बदलाव संभव है.