Negotiating Intimate Relationships: डिजिटल युग में युवाओं के सामने बढ़ती भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) 2025-26 शैक्षणिक सत्र से स्नातक छात्रों के लिए एक अनूठा वैकल्पिक पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहा है. "नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप" नाम का यह कोर्स छात्रों को आधुनिक रिश्तों की जटिलताओं को समझने और स्वस्थ संबंध बनाने में सक्षम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
मनोविज्ञान विभाग द्वारा शुरू किया गया यह चार-क्रेडिट पाठ्यक्रम 2023 से विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर सूचीबद्ध है. इसका लक्ष्य छात्रों को डेटिंग ऐप्स और सोशल मीडिया के दौर में दोस्ती, प्रेम और रोमांटिक रिश्तों की गतिशीलता को समझने में मदद करना है. यह कोर्स सभी स्नातक छात्रों के लिए खुला है, चाहे वे किसी भी विषय में पढ़ाई कर रहे हों. आज के समय में युवाओं में भावनात्मक संकट और विषाक्त रिश्तों से जुड़ी हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह कदम बेहद प्रासंगिक है. विश्वविद्यालय का मानना है कि यह पाठ्यक्रम छात्रों में भावनात्मक जागरूकता और लचीलापन विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
पाठ्यक्रम की संरचना और प्रमुख विषय
यह पाठ्यक्रम चार मुख्य इकाइयों पर आधारित है:
छात्र हर सप्ताह तीन व्याख्यान और एक ट्यूटोरियल में हिस्सा लेंगे. ट्यूटोरियल में इंटरैक्टिव गतिविधियाँ जैसे मूवी समीक्षा, डेटिंग संस्कृति पर बहस, समूह चर्चा और सोशल मीडिया नेटवर्क विश्लेषण शामिल होंगे. “कबीर सिंह और टाइटैनिक जैसी फिल्मों की समीक्षा के माध्यम से प्रेम और संघर्ष के चित्रण की आलोचनात्मक जांच की जाएगी,” पाठ्यक्रम संयोजक ने बताया. इसके अलावा, छात्र स्टर्नबर्ग के त्रिकोणीय प्रेम पैमाने का उपयोग करके रोमांटिक रिश्तों का आकलन करेंगे.
भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ावा
इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देना है. यह उन्हें अंतरंग संबंधों की नींव को समझने, भावनात्मक ट्रिगर्स और संघर्षों को पहचानने और सम्मानजनक संबंध बनाने की क्षमता विकसित करने में मदद करेगा.
प्रवेश पात्रता और प्रासंगिकता
इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए केवल कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है. यह कदम विशेष रूप से युवाओं में भावनात्मक अस्थिरता और पारस्परिक हिंसा की हाल की घटनाओं को देखते हुए महत्वपूर्ण है. यह पाठ्यक्रम न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.