Career Counselling: क्या आप वही कर रहे हैं, जिसका सपना आपने स्कूल में देखा था? अधिकांश भारतीय छात्रों के लिए इसका जवाब अनिश्चितता भरा है. संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में केवल 10% छात्रों को ही एक्सपर्ट करियर काउंसलिंग मिलता है. बाकी 90% छात्र परिवार, सामाजिक दबाव या ‘सुरक्षित’ नौकरियों के आकर्षण में भटकते हैं.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक और राजस्थान के 14 जिलों में 21,239 छात्रों पर किए गए सर्वे से पता चलता है कि स्कूलों तक पहुंच होने का मतलब करियर की स्पष्टता नहीं है जिसके कारण, करियर अनजाने में चुने जाते हैं, न कि सोच-समझकर.
अनचाहे करियर और कार्यस्थल पर असंतोष
भारत के कार्यस्थलों पर असंतुष्ट पेशेवरों की कहानी आम है. गैलप 2024 की वैश्विक कार्यस्थल रिपोर्ट के अनुसार, केवल 14% भारतीय कर्मचारी खुद को ‘समृद्ध’ मानते हैं, जो वैश्विक औसत 34% से काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह असंतोष करियर चयन में रुचि और कौशल के गलत तालमेल से उपजता है. 90% छात्र परिवार या रिश्तेदारों के सुझावों पर निर्भर रहते हैं, जो अक्सर पुराने जमाने की नौकरियों को आदर्श मानते हैं. प्रोफेशनल मार्गदर्शन केवल कुछ भाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है.
आधे भारतीय ग्रेजुएट उद्योग के मानकों के हिसाब से रोजगार के योग्य नहीं
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट और नैसकॉम सर्वे बताते हैं कि लगभग आधे भारतीय स्नातक उद्योग के मानकों के लिए रोजगार योग्य नहीं हैं. इंजीनियरिंग में यह आंकड़ा और खराब है, जहां केवल 20-25% स्नातक ही नौकरी के लिए तैयार होते हैं. यह असंगति नौकरी साक्षात्कार के समय नहीं, बल्कि उससे पहले, करियर चयन के समय शुरू होती है. छात्र अक्सर उन कोर्स को चुनते हैं, जिन्हें वे न समझते हैं, न ही पसंद करते हैं.
करियर काउंसलिंग की कमी
भारत में सरकारी स्कूलों में करियर काउंसलिंग लगभग न के बराबर है, और निजी स्कूलों में भी यह सुविधा चुनिंदा है. यासिर अली, YAC एडटेक के निदेशक, कहते हैं, “छात्रों को संरचित मार्गदर्शन की कमी के कारण, वे परिवार या परीक्षा परिणामों के आधार पर परिचित विकल्प चुनते हैं, न कि अपनी योग्यता के आधार पर.” निजी स्कूलों में 41% और सरकारी स्कूलों में 35% छात्र करियर चयन को लेकर अनिश्चित हैं.
समाधान की दिशा में कदम
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में व्यावसायिक और बहुविषयक शिक्षा पर जोर दिया गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि कक्षा से ही योग्यता मूल्यांकन, करियर मेले और उद्योगों में इंटर्नशिप जैसे कदम इस संकट को कम कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके जैसे देशों में करियर काउंसलिंग को शिक्षा का हिस्सा बनाया गया है, जिससे भारत को प्रेरणा लेनी चाहिए.