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India Daily

सारी बाधा खत्म, मस्क की स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड शुरू करने की अंतिम मंजूरी मिली

कंपनी B2B और B2G सेगमेंट में उपस्थिति बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ता-केंद्रित सेवाओं की नींव रख रही है. जल्द ही यह अपनी वेबसाइट के माध्यम से प्रत्यक्ष उपभोक्ता सैटेलाइट कनेक्शन प्रदान शुरू कर सकती है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Starlink gets final approval to launch satellite broadband in India

एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत के अंतरिक्ष नियामक, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) से अंतिम मंजूरी मिल गई है. यह मंजूरी भारत में व्यावसायिक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की आखिरी नियामक बाधा को दूर करती है.

नियामक मंजूरी का विवरण

8 जुलाई को IN-SPACe ने स्टारलिंक को गैर-भारतीय GSO और NGSO सैटेलाइट कॉन्स्टेलेशन, विशेष रूप से स्टारलिंक Gen1 कॉन्स्टेलेशन, को भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने की अनुमति दी. यह मंजूरी 7 जुलाई, 2030 तक वैध है. स्टारलिंक को गेटवे बीम के लिए 27.5–29.1 GHz और 29.5–30 GHz अपलिंक बैंड, साथ ही 17.8–18.6 GHz और 18.8–19.3 GHz डाउनलिंक बैंड में संचालन की अनुमति दी गई है. उपयोगकर्ता बीम के लिए 14.0–14.5 GHz अपलिंक और 10.7–12.7 GHz डाउनलिंक बैंड स्वीकृत किए गए हैं.

अन्य मंजूरियां और अगले कदम

हाल ही में स्टारलिंक ने दूरसंचार विभाग (DoT) से ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्राप्त किया, जिसने इसे यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो के बाद तीसरा पूर्ण नियामक मंजूरी प्राप्त खिलाड़ी बनाया. अब स्टारलिंक को सरकार से स्पेक्ट्रम प्राप्त करना होगा, ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना होगा और राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं का पालन करना होगा. कंपनी की योजना कम से कम तीन गेटवे स्टेशन स्थापित करने की है. DoT जल्द ही स्टारलिंक को सुरक्षा प्रदर्शन के लिए ट्रायल स्पेक्ट्रम प्रदान करेगा.

व्यावसायिक रणनीति

रिपोर्ट के अनुसार, स्टारलिंक ने भारत में VSAT प्रदाताओं के साथ अपने पहले व्यावसायिक समझौते किए हैं, जिससे उद्यम और सरकारी ब्रॉडबैंड सेवाओं से आय शुरू करने का इरादा है. कंपनी B2B और B2G सेगमेंट में उपस्थिति बढ़ाने के साथ-साथ उपभोक्ता-केंद्रित सेवाओं की नींव रख रही है. जल्द ही यह अपनी वेबसाइट के माध्यम से प्रत्यक्ष उपभोक्ता सैटेलाइट कनेक्शन प्रदान शुरू कर सकती है.

प्रतिस्पर्धा का परिदृश्य

स्टारलिंक का मुख्य प्रतिद्वंद्वी, अमेज़न का प्रोजेक्ट कुइपर, अभी DoT और IN-SPACe से मंजूरी का इंतज़ार कर रहा है. कुइपर ने 27 निम्न-पृथ्वी कक्षा (LEO) सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, लेकिन भारत में कवरेज अभी बाकी है. कुइपर की योजना 10 गेटवे स्टेशन और मुंबई-चेन्नई में दो पॉइंट्स ऑफ प्रेजेंस स्थापित करने की है, जो स्टारलिंक के तीन गेटवे से अधिक है. भारत के उभरते सैटकॉम बाजार में कुइपर, स्टारलिंक और जियो-SES के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा होगी.