सोने में ऑनलाइन निवेश का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अब सेबी (SEBI) ने इसे लेकर बड़ी चेतावनी जारी की है. मार्केट रेगुलेटर ने कहा कि कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ‘डिजिटल गोल्ड’ या ‘ई-गोल्ड’ के नाम पर ऐसे उत्पाद बेच रहे हैं जो सेबी के अधीन नहीं आते. इसका मतलब है कि अगर कोई निवेशक इन योजनाओं में नुकसान झेलता है, तो उसे किसी भी प्रकार का रेगुलेटरी संरक्षण नहीं मिलेगा. सेबी ने निवेशकों से सतर्क रहने की अपील की है.
सेबी ने शनिवार को जारी प्रेस रिलीज़ में कहा कि कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बिना किसी नियामकीय अनुमति के डिजिटल गोल्ड में निवेश का विकल्प दे रहे हैं. ऐसे उत्पाद न तो सिक्योरिटी माने जाते हैं और न ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स के दायरे में आते हैं. सेबी ने स्पष्ट किया कि डिजिटल गोल्ड पूरी तरह उसकी निगरानी से बाहर है और इसमें काउंटरपार्टी व ऑपरेशनल रिस्क शामिल हैं.
Digital gold sold through online platforms operates completely outside SEBI’s regulation.
— Jeetendra (@jeetendra_ya) November 8, 2025
Before investing, always check whether your money is protected under any official framework. Stay informed, stay safe! #DigitalGold #InvestSmart #FinancialAwareness pic.twitter.com/CsD7EoBsif
महज ₹10 से निवेश की सुविधा देने वाले प्लेटफॉर्म्स ने युवाओं और छोटे निवेशकों को आकर्षित किया है. Tanishq, MMTC PAMP, Aditya Birla Capital, Caratlane, PhonePe और Shriram Finance जैसी कंपनियां डिजिटल गोल्ड को सुविधाजनक और भरोसेमंद बताते हुए प्रमोट कर रही हैं. हालांकि, सेबी ने कहा है कि चाहे ब्रांड कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर वह रेगुलेटेड नहीं है तो निवेशक को नुकसान होने पर कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी.
Tanishq अपनी वेबसाइट पर कहता है कि “Tanishq Digital Gold” 24 कैरेट सोना खरीदने का पारदर्शी और सुरक्षित तरीका है, जिससे निवेशक किसी भी समय सोना खरीद, बेच या स्टोर में एक्सचेंज कर सकते हैं. वहीं, MMTC PAMP खुद को डिजिटल गोल्ड का “लीडर” बताता है और इसे सस्ता व आसान निवेश विकल्प के रूप में प्रमोट करता है.
सेबी ने बताया कि निवेशक चाहें तो गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs), गोल्ड डेरिवेटिव्स या इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीप्ट्स (EGRs) जैसे रेगुलेटेड प्रोडक्ट्स में सुरक्षित रूप से निवेश कर सकते हैं. ये विकल्प सेबी की निगरानी में आते हैं और इनमें निवेशकों को नियामकीय सुरक्षा भी मिलती है. पारंपरिक ज्वैलर्स की किश्त योजना जैसी स्कीम्स को पहले ही जोखिम के चलते सरकार ने हतोत्साहित किया था.
सेबी की इस चेतावनी ने डिजिटल गोल्ड मार्केट में हलचल मचा दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को केवल उन्हीं प्रोडक्ट्स में पैसा लगाना चाहिए जो सेबी या आरबीआई के तहत रेगुलेटेड हों. अनरेगुलेटेड डिजिटल स्कीम्स में पैसा फंसने की संभावना हमेशा बनी रहती है.