चीन द्वारा रेयर अर्थ सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माताओं और सप्लायर्स से अपेक्षित 50% स्थानीयकरण नियम में ढील देने पर विचार कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, यह कदम प्रोत्साहन के बदले उठाया जा सकता है.
उद्योग की चिंताए और सरकारी सलाह
रेयर अर्थ की कमी का असर
रेयर अर्थ खनिज इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों में उपयोग होने वाली ट्रैक्शन मोटरों के लिए स्थायी चुंबकों के उत्पादन में महत्वपूर्ण हैं. चीन के निर्यात प्रतिबंधों से भारतीय मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) को पूरी तरह निर्मित पार्ट्स आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जो आत्मनिर्भरता के भारत के लक्ष्य को कमजोर करेगा. सूत्रों ने बताया कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अब मोटरों को पूर्ण रूप से या उप-संयोजन के रूप में आयात करने जैसे विकल्पों पर विचार कर रही हैं.
ऑटो पार्ट्स निर्माताओं पर दोहरा संकट
यह प्रतिबंध भारतीय ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के लिए दोहरा झटका है, जिन्होंने स्थायी चुंबक सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर (PMSRM) जैसे ईवी पार्ट्स के स्थानीयकरण में भारी निवेश किया था. तीन सूत्रों ने कहा, “कई निर्माता अभी तक प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) वितरण के लिए योग्य नहीं हुए हैं और अब चीनी आपूर्तिकर्ताओं के सामने व्यवसाय खोने का जोखिम झेल रहे हैं.” समुद्री मार्ग से मोटर शिपिंग में प्रति यूनिट लगभग 2,000 रुपये ($23.245) और हवाई कार्गो से 5,000 रुपये तक की लागत बढ़ सकती है, जो बड़े पैमाने पर बाजार के लिए भारी है.