जापान की प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी सुजुकी मोटर्स के पूर्व अध्यक्ष और सीईओ ओसामू सुजुकी का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके निधन की घोषणा कंपनी ने शुक्रवार को की, जिसमें बताया गया कि वह कैंसर के कारण बुधवार को निधन हो गए. ओसामू सुजुकी का कार्यकाल चार दशकों तक फैला हुआ था, और उनकी नेतृत्व क्षमता ने सुजुकी को वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख ऑटोमोबाइल निर्माता के रूप में स्थापित किया.
पीएम मोदी ने जताया दुख
सुजुकी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है. पीएम ने ट्वीट कर कहा, 'वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग की एक प्रसिद्ध हस्ती श्री ओसामु सुजुकी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनके दूरदर्शी कार्य ने गतिशीलता की वैश्विक धारणाओं को नया आकार दिया। उनके नेतृत्व में, सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन एक वैश्विक पावरहाउस बन गया, जिसने चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया, नवाचार और विस्तार को आगे बढ़ाया। उन्हें भारत से गहरा लगाव था और मारुति के साथ उनके सहयोग ने भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में क्रांति ला दी।'
Deeply saddened by the passing of Mr. Osamu Suzuki, a legendary figure in the global automotive industry. His visionary work reshaped global perceptions of mobility. Under his leadership, Suzuki Motor Corporation became a global powerhouse, successfully navigating challenges,… pic.twitter.com/MjXmYaEOYA
— Narendra Modi (@narendramodi) December 27, 2024
ओसामू सुजुकी का योगदान
ओसामू सुजुकी का कार्यकाल सुजुकी मोटर्स के लिए ऐतिहासिक रहा. उन्होंने 1978 में कंपनी के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला और 2021 तक इसे सफलतापूर्वक नेतृत्व किया. उनका नेतृत्व न केवल जापान, बल्कि दुनिया भर में सुजुकी की पहचान बनाने में महत्वपूर्ण था. ओसामू सुजुकी के नेतृत्व में, सुजुकी मोटर्स की बिक्री 300 बिलियन येन (लगभग 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर 3 ट्रिलियन येन (लगभग 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गई थी, जो कि दस गुना वृद्धि का प्रतीक था.
भारत में सुजुकी का योगदान
ओसामू सुजुकी के दृष्टिकोण का सबसे बड़ा उदाहरण था भारत में सुजुकी की सफलता. उन्होंने भारतीय बाजार को अपनी रणनीतिक प्राथमिकता बनाई और मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड को एक प्रमुख ब्रांड के रूप में स्थापित किया. 2023 के वित्तीय वर्ष में, मारुति सुजुकी ने भारत के कार बाजार का 41.7 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया, जो कि इसके निकटतम प्रतिद्वंदी हुंडई मोटर कंपनी (14.6 प्रतिशत) से कहीं अधिक था. उनकी रणनीति ने कंपनी को भारतीय बाजार में न केवल एक स्थिर उपस्थिति दी, बल्कि भारत को सुजुकी के लिए सबसे महत्वपूर्ण बाजार बना दिया.
छोटे और किफायती वाहनों पर फोकस
ओसामू सुजुकी ने हमेशा छोटे और किफायती वाहनों पर जोर दिया, खासकर उन बाजारों में जहां ग्राहकों को कम कीमत और ईंधन दक्षता की आवश्यकता थी. इस दृष्टिकोण ने कंपनी को उभरते बाजारों में, जैसे कि भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और हंगरी, में प्रमुखता दिलाई. इसने सुजुकी को अपने प्रतिस्पर्धियों से अलग और अधिक सशक्त बना दिया, खासकर उन बाजारों में जहां बड़े वाहनों के लिए ज्यादा मांग नहीं थी.
अमेरिकी और चीनी बाजार से बाहर निकलना
हालांकि सुजुकी मोटर्स की रणनीति सफल रही, लेकिन कुछ प्रमुख बाजारों में उसे चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. 2012 में, सुजुकी ने अमेरिकी बाजार से बाहर निकलने का फैसला लिया, और 2018 में चीन से भी अपनी उपस्थिति समाप्त कर दी. इन निर्णयों का कारण था इन बाजारों में बड़े वाहनों की अधिक मांग और सुजुकी के छोटे और किफायती वाहनों की कम लोकप्रियता.
वैश्विक साझेदारी और नई पहल
ओसामू सुजुकी के नेतृत्व में, कंपनी ने वैश्विक साझेदारियों पर भी ध्यान केंद्रित किया. 2009 में, सुजुकी ने वोक्सवैगन एजी के साथ एक व्यापार और पूंजी साझेदारी की शुरुआत की, जो पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से थी. हालांकि, 2015 में यह साझेदारी विवादों के कारण समाप्त हो गई. इसके बाद, सुजुकी ने 2019 में टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के साथ एक नई पूंजी साझेदारी की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य स्व-चालित वाहनों के विकास पर ध्यान केंद्रित करना था.
ओसामू सुजुकी का नेतृत्व और भविष्य
ओसामू सुजुकी ने 2015 में कंपनी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और अपने बेटे तोशिहिरो सुजुकी को उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. हालांकि, उन्होंने 2021 तक कंपनी के अध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाया और सुजुकी के विकास की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनका योगदान न केवल जापान बल्कि वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग में अविस्मरणीय रहेगा.