Defence Stock: मई का महीना डिफेंस सेक्टर के लिए बेहतरीन रहा. भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते रक्षा क्षेत्र में सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के शेयरों में बेतहासा उछाल देखने को मिली. सीधे तौर पर देखें तो इन कंपनियों के शेयरों में 61 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स, पारस डिफेंस, अपोलो माइक्रो सिस्टम्स और कोचिन शिपयार्ड जैसी 23 प्रमुख कंपनियों के शेयरों में मई के महीने में 61% तक की वृद्धि दर्ज की गई. यह तेजी न केवल निवेशकों के लिए आकर्षक रही, बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग की मजबूती को भी दर्शाती है.
निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स ने मई 2025 में 22% की प्रभावशाली वृद्धि हासिल की. फरवरी के निचले स्तर से अब तक यह इंडेक्स 70% तक चढ़ चुका है. पिछले Defence Stock, Stock market news, Share market, डिफेंस स्टॉक, स्टॉक मार्केट न्यूज, शेयर बाजार की ताजा खबरपांच महीनों में दबाव झेलने के बाद, मार्च और अप्रैल में डिफेंस इंडेक्स ने रिकवरी शुरू की थी, और मई में यह उछाल और भी मजबूत हो गया.
ऑपरेशन संरक्षक ने दिखाई भारतीय डिफेंस की ताकत
डिफेंस स्टॉक्स में इस उछाल का एक प्रमुख कारण "ऑपरेशन सिंदूर" रहा. इस ऑपरेशन ने भारतीय डिफेंस कंपनियों के उत्पादों की ताकत को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार 'मेक इन इंडिया' के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादों को बढ़ावा देने की बात कही है. सरकार ने इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं, जैसे रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और स्वदेशी तकनीकों को बढ़ावा देना.
डिफेंस स्टॉक्स में अपोलो माइक्रो सिस्टम्स ने मई 2025 में शानदार प्रदर्शन किया। इस कंपनी के शेयरों की कीमत 117 रुपये से बढ़कर 183 रुपये के स्तर तक पहुंच गई, जो 60.5% की वृद्धि दर्शाती है। इससे पहले, अक्टूबर 2023 में भी इस कंपनी के शेयरों में 62% की तेजी देखी गई थी। यह कंपनी रक्षा क्षेत्र में उन्नत तकनीकों के विकास में अग्रणी है, जिसने निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है।
ड्रोन से जुड़े स्टॉक्स में भी उछाल
ड्रोन तकनीक से जुड़ी कंपनियों जैसे आइडियाफोर्ज, जेन टेक्नोलॉजीज, रतनइंडिया एंटरप्राइजेज और पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज के शेयरों में भी 50% तक की वृद्धि देखी गई। ड्रोन और उन्नत रक्षा तकनीकों की बढ़ती मांग ने इन कंपनियों को निवेशकों की पसंद बनाया है।
मई में किन डिफेंस कंपनियों ने मारी बाजी?