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सेकंड हैंड कार खरीदने से पहले करें ये 5 चीजें चेक, वरना हाथ से निकल जाएगा पैसा!

सेकंड हैंड कार खरीदना समझदारी भरा कदम हो सकता है, लेकिन सही जांच के बिना किया गया सौदा भारी पड़ सकता है. वो पांच अहम पहलुओं को नजरअंदाज करना भविष्य में नुकसानदेह साबित हो सकता है.

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Edited By: Reepu Kumari
Used Car Buying Tips
Courtesy: GEMINI

नई दिल्ली: आजकल सेकंड हैंड कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. नई कारों की बढ़ती कीमतों के बीच लोग भरोसेमंद प्री-ओन्ड कार को बेहतर विकल्प मानते हैं. अच्छी स्थिति में पुरानी कार कम कीमत पर मिल जाए तो बजट भी संभलता है और जरूरत भी पूरी होती है. लेकिन बिना जांच-परख के लिया गया फैसला बड़ा नुकसान कर सकता है. पहली नजर में कार अच्छी लगे, लेकिन अंदर छुपी खराबियां बाद में जेब ढीली करवा देती हैं. इसलिए सेकंड हैंड कार खरीदने से पहले कुछ जरूरी बातों की जांच बेहद जरूरी है.

सही प्लानिंग और समझदारी से किया गया चुनाव लंबे समय तक फायदा देता है. यहां हम बता रहे हैं वे पाँच प्रमुख बातें, जिन्हें देखने के बाद ही सौदा फाइनल करना चाहिए.

सर्विस हिस्ट्री की पूरी जांच करें

किसी भी सेकंड हैंड कार का वास्तविक हाल उसकी सर्विस हिस्ट्री से पता चलता है. सर्विस रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि कार की नियमित मेंटेनेंस हुई या नहीं. अगर रिकॉर्ड अधूरा हो या बार-बार बड़े रिपेयर दर्ज हों, तो सावधान हो जाना चाहिए. सर्विस बुक और वर्कशॉप इनवॉइस देखकर कार की असली स्थिति समझी जा सकती है. यह छोटा कदम भविष्य में भारी खर्च से बचाता है.

बाहरी नहीं, इंजन की कंडीशन पर ध्यान दें

अक्सर लोग कार के चमकते बॉडीवर्क को देखकर खुश हो जाते हैं, लेकिन असली जांच इंजन की होती है. इंजन से आवाज आना, ज्यादा धुआं या ऑयल लीकेज गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है. बोनट खोलकर इंजन बे की स्थिति देखें और मैकेनिक से चेक करवाएं. इंजन की हेल्थ तय करती है कि कार लंबी चलेगी या बार-बार गड़बड़ करेगी.

टेस्ट ड्राइव के दौरान हर आवाज सुनें

टेस्ट ड्राइव सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि खरीद का सबसे अहम हिस्सा है. ड्राइव के दौरान ब्रेक, एक्सलेरेशन, सस्पेंशन, गियर शिफ्ट और स्टेयरिंग की स्मूथनेस पर ध्यान दें. गाड़ी रास्ते में किसी भी असामान्य आवाज या झटके दे, तो कारण पूछना जरूरी है. कई समस्याएं सिर्फ चलाने पर ही सामने आती हैं, इसलिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है.

ओडोमीटर रीडिंग पर आंख बंद कर भरोसा न करें

कई बार ओडोमीटर से छेड़छाड़ की जाती है. कम रीडिंग दिखाकर कार को ज्यादा महंगा बेचने की कोशिश होती है. इसलिए कार के पैडल्स, सीट की घिसावट और टायर की कंडीशन देखकर ओडोमीटर की सच्चाई का अनुमान लगाया जा सकता है. असली रीडिंग का अंदाजा लगाना खरीददार के लिए फायदेमंद होता है और धोखे से बचाता है.

कीमत को मार्केट वैल्यू से मिलान करें

हर मालिक अपनी कार की कीमत अधिक बताता है, लेकिन फैसला मार्केट वैल्यू के आधार पर करना चाहिए. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, ब्रांड, मॉडल, वर्ष और माइलेज देखकर वास्तविक कीमत का अनुमान लगाएं. अगर कार ज्यादा महंगी लग रही हो, तो बातचीत के लिए पर्याप्त आधार मिल जाता है. सही रिसर्च के बाद लिया गया फैसला पैसे की बचत और बेहतर कार का वादा करता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.