Pakistan Auto Industry: पाकिस्तान की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की हालत खराब है. आर्थिक तंगी की वजह से विदेशी कंपनियां अपना पल्ला झाड़ रही हैं. पड़ोसी देश की खस्ता हाल निवेशकों का भरोसा कम कर रही है. इसकी वजह से कार बनाने वाली कंपनियों और पार्ट्स सप्लायर्स की नींद उड़ गई हैं. हालांकि, आम नागरिक भी इस संकट से अछूते नहीं रहेंगे.
नई कारों की कीमतें बढ़ने, लोकल मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित होने और सेकेंड हैंड कारों के आयात बढ़ने से रोजमर्रा की जरूरतों और परिवहन पर असर पड़ेगा. इससे न केवल नए वाहन महंगे होंगे, बल्कि नौकरी पर निर्भर कार पार्ट्स और ऑटोमोबाइल से जुड़े व्यवसायों में भी संकट पैदा होगा, जिससे लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी खतरे में आ सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम IMF के 7 अरब डॉलर के लोन प्रोग्राम की शर्तों के तहत उठाया गया. IMF ने व्यापार खोलने और पुरानी गाड़ियों पर रोक हटाने को आवश्यक बताया था. हालांकि, पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार (महज 14 अरब डॉलर) पर इससे अतिरिक्त दबाव आएगा, जिससे आर्थिक अस्थिरता और बढ़ सकती है.
टोयोटा, होंडा, सुज़ुकी, हुंडई और किआ जैसी बड़ी ब्रांड्स पहले से ही पाकिस्तान के अस्थिर माहौल में संघर्ष कर रही हैं. अब सेकेंड हैंड कारों के आयात से उनकी उत्पादन और बिक्री प्रभावित हो सकती है.
हाल ही में जापानी दोपहिया निर्माता यामाहा ने पाकिस्तान में अपने ऑपरेशन बंद कर दिए. 2015 में 100 मिलियन डॉलर निवेश कर लौटने वाली कंपनी ने सरकार की नीतियों को कारण बताते हुए बाजार छोड़ दिया. इससे पहले शेल, उबर, केरीम, माइक्रोसॉफ्ट और टेलिनोर जैसी बड़ी कंपनियां भी पाकिस्तान छोड़ चुकी हैं. आने वाले दिनों हालात अच्छे होंगे या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन फिलहाल पड़ोसी मुल्क को काम करने की जरुरत है.