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डैशबोर्ड पर चमकी नीली लाइट? यह खतरा नहीं, जानिए आपकी कार क्या मैसेज देने की कर रही कोशिश

31 दिसंबर 2025 को कार उपयोगकर्ताओं के लिए जरूरी जानकारी सामने आई है. डैशबोर्ड पर दिखने वाली नीली कूलेंट टेंपरेचर लाइट इंजन के ठंडा होने की सूचना देती है, न कि किसी खराबी की चेतावनी.

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Edited By: Reepu Kumari
डैशबोर्ड पर चमकी नीली लाइट? यह खतरा नहीं, जानिए आपकी कार क्या मैसेज देने की कर रही कोशिश
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: साल 2025 के आखिरी दिन कार चालकों के बीच एक सामान्य लेकिन जरूरी सवाल चर्चा में है—डैशबोर्ड पर दिखने वाली नीली लाइट क्या किसी खतरे का संकेत है. जवाब है, बिल्कुल नहीं. IMD के मौसम अलर्ट वाली सर्द सुबहों में यह लाइट अक्सर दिखाई देती है, क्योंकि इंजन और कूलेंट को गर्म होने में समय लगता है.

लाल और पीली लाइट्स जहां खराबी की चेतावनी देती हैं, वहीं नीली थर्मामीटर जैसी लाइट केवल यह बताती है कि इंजन अभी अपने सही तापमान पर नहीं पहुंचा है. यह एक तकनीकी सूचना है, जो आपको सुरक्षित ड्राइविंग के लिए तैयार करती है.

इंजन की शुरुआती स्थिति की सूचना

कार स्टार्ट करते ही सेंसर इंजन कूलेंट का तापमान जांचता है. नीली कूलेंट टेंपरेचर लाइट जलने का मतलब है कि इंजन अभी ठंडा है और अंदर मौजूद द्रव तय मानक तापमान से नीचे है. यह लाइट आमतौर पर सर्द मौसम में ज्यादा नजर आती है. ठंडे इंजन में ऑयल को सभी हिस्सों तक सही तरीके से पहुंचने में कुछ अतिरिक्त सेकंड लगते हैं. इस लाइट का उद्देश्य चालक को इंजन की मौजूदा स्थिति की सूचना देना है, ताकि वह शुरुआती मिनटों में सतर्क ड्राइव कर सके.

लाइट जलने पर सही ड्राइविंग आदत

नीली लाइट दिखते ही घबराने की बजाय ड्राइविंग शैली में हल्का बदलाव करना जरूरी है. स्टार्ट के बाद 30–60 सेकंड का वॉर्म-अप इंजन ऑयल को फैलने में मदद करता है. शुरुआती दूरी में तेज एक्सीलरेशन, हाई RPM और अचानक रफ्तार बढ़ाने से बचना चाहिए.

ठंडे इंजन पर ज्यादा दबाव डालने से पुर्जों पर अतिरिक्त घिसावट का खतरा बढ़ सकता है. अनुभवी मैकेनिक भी मानते हैं कि इंजन को उसके स्वाभाविक तापमान तक पहुंचने देना लंबी उम्र की पहली शर्त है.

लाइट कब और क्यों बंद होती है?

आमतौर पर 1–2 किमी चलने या 3–5 मिनट की ड्राइव के बाद नीली लाइट खुद बंद हो जाती है. इसका मतलब है कि कूलेंट अब तय तापमान पर पहुंच चुका है और इंजन सामान्य संचालन के लिए तैयार है. आधुनिक कारों में यह पूरी प्रक्रिया स्वचालित होती है. लाइट का बंद होना एक भरोसेमंद संकेत है कि वाहन अब लंबी यात्रा या हाईवे स्पीड के लिए पूरी तरह सक्षम है. यह सिस्टम चालक को बिना बोले ‘ऑल सेट’ का मैसेज देता है.

नीली बनाम लाल लाइट: फर्क समझना जरूरी

नीली लाइट केवल सूचना देती है, जबकि लाल टेंपरेचर लाइट खतरे की सीधी चेतावनी होती है. लाल लाइट का जलना या ब्लिंक करना बताता है कि इंजन ओवरहीट हो रहा है या सिस्टम में गड़बड़ी है. ऐसी स्थिति में तुरंत वाहन रोककर इंजन बंद करना जरूरी है. लाल लाइट को अनदेखा करने से इंजन को भारी नुकसान हो सकता है. नीली लाइट का दिखना सामान्य है, लेकिन लाल का दिखना त्वरित एक्शन की मांग करता है. यह अंतर जानना हर चालक के लिए अनिवार्य है.

सर्द सुबहों में यह लाइट सामान्य संकेत

दिसंबर और जनवरी की गलन भरी सुबहों में यह लाइट ज्यादा नजर आती है. यह आपकी कार का तरीका है यह बताने का कि उसे बस हल्के से वॉर्म-अप की जरूरत है. यह किसी भी तरह का फॉल्ट साइन नहीं है. नई कारों में यह फीचर चालक और इंजन दोनों को सुरक्षित रखने के लिए दिया जाता है. इसलिए, अगली बार जब यह नीली रोशनी दिखे, तो इसे खतरा नहीं बल्कि तकनीक का दोस्ताना संदेश मानें और आराम से ड्राइव शुरू करें.