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भगवान कृष्ण के सामने ही डूब गया था उनका वंश, क्यों नहीं रोक पाए थे परिवार का सर्वनाश?

भगवान कृष्ण के वंशज समुद्र तट पर हुए भीषण युद्ध में मारे गए थे. उनकी संताने उन्हीं के सामने आपस में लड़-कटकर मर गईं. ऐसा क्यों हुआ, आइए जानते हैं.

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भगवान कृष्ण
Courtesy: सोशल मीडिया.

भगवान भी विधि का लिखा नहीं टाल पाते हैं. वे प्रकृति के नियमों से बधे होते हैं और उन्हें तोड़ते नहीं. महाभारत में कृष्ण की कहानी यही सच्चाई बताती है. वे संसार के स्वामी थे लेकिन अपने संतानों के विनाश को टाल नहीं पाए. वे चाहते तो उनकी संताने आपस में नहीं भिड़तीं और उनका वंश ऐसे नहीं डूबता. आखिर किस वजह से कृष्ण भगवान का वंशनाश हुआ, क्यों उनकी संताने आपस में लड़कर मर गईं, आइए जानते हैं.

भगवान भी तपस्वियों के शाप का मान रखते हैं. महाभारत युद्ध में कौरव-पांडव मारे जा चुके थे. कुरुक्षेत्र में हुए इस धर्म युद्ध में पांडव विजयी हुए और सारे कौरव पक्ष के वीर मारे गए. कौरवों का वंश नष्ट हो गया. वे धृतराष्ट्र और गांधारी से युद्ध खत्म होने के बाद मिलने पहुंचे. गांधी ने कृष्ण को शाप दे दिया कि जिस तरह उनका वंश नाश हुआ है, वैसे ही यदुवंश का भी नाश हो जाएगा. कृष्ण भगवान ने यह शाप सहज स्वीकार कर लिया.

कैसे हुआ कृष्ण का वंशनाश?

कृष्ण के वंशनाश की वजह सिर्फ गांधारी का शाप नहीं था. उनके संतानों को भी एक ऋषि ने शाप दिया था. एक दिन कृष्ण के पुत्र साम्ब को स्त्री के वेश में सजाकर ऋषियों के पास ले गए. उन्होंने ऋषियों से सवाल पूछा कि यह स्त्री गर्भवती है इसके पुत्र होगा या पुत्री. ऋषि क्रोधित हुए और शाप दिया कि यह कृष्ण का साम्ब है. इसके एक मूसल होगा, जिसके चलते कृष्ण का वंश खत्म होगा.

कृष्ण कुमार डर गए और उन्होंने मूसल को नष्ट कर दिया. मूसल घास की तरह उग गया. कृष्ण के वंशज आपस में आए दिन झगड़ने लगे. एक दिन संहारक युद्ध छिड़ गया. उनके वंशजों ने उसी मूसल के टुकड़ों से एक-दूसरे को मार डाला. भगवान कृष्ण देखते ही रह गए और प्रदुम्न, अनिरुद्ध, साम्ब और चरुदेष्ण जैसे कुमार मरते चले गए. देखते ही देखते सब लड़-कटकर मर गए और भगवान युद्ध नहीं रोक पाए.

नोट: यह कहानी महाभारत पर आधारित है. इंडिया डेली लाइव इसकी पुष्टि नहीं करता है