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साल 2024 की पहली अमावस्या आज, जरूर करें ये कार्य

Paush Amavasya 2024: साल 2024 की पहली अमावस्या तिथि 11 जनवरी 2024 को पड़ रही है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलता है. यह अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाने वाली मानी जाती है. 

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Edited By: Mohit Tiwari
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Courtesy: freepik

हाइलाइट्स

  • अमावस्या पर तुलसी पूजन माना जाता है शुभ
  • पितृदोष से मुक्ति दिलाती है अमावस्या

Paush Amavasya 2024: हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या तिथि का अपना एक विशेष महत्व होता है. पौष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या कहा जाता है. यह साल 2024 की पहली अमावस्या है. ज्योतिष के अनुसार से आज के दिन किये जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपाय बहुत ही फलदायी साबित होंगे. पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं.

इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने, दान-पुण्य और पितृ तर्पण किया जाता है. पुराणों के अनुसार, इस दिन गंगा-स्नान करना चाहिए. हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास दसवां महीना है,  जिसे देवताओं की पूजा करने और मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है. इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन तुलसी पूजन भी शुभ माना जाता है. 

सनातन धर्म में पौष अमावस्या तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही पितरों का तर्पण भी किया जाता है. इस दिन स्नान, दान, तर्पण आदि करने का विशेष महत्व होता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर स्नान-ध्यान करके शुद्ध मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है. वहीं, साधक को पितरों को आशीर्वाद प्राप्त होता है. पूर्वजों के आशीर्वाद से साधक के सुखों में वृद्धि होती है. इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है.

पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त

पौष माह की अमावस्या तिथि 10 जनवरी 2024 की रात 8:10 से शुरू होगी. इसके साथ अमावस्या तिथि का समापन 11 जनवरी को शाम 5:26 मिनट पर होगा. ऐसे में पौष माह की अमावस्या तिथि 11 जनवरी दिन गुरुवार को मनाई जाएगी. 

ग्रहों का दुष्प्रभाव होता है कम

इस दिन सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसे में इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. पौष अमावस्या के दिन श्रद्धा पूर्वक पितरों का श्राद्ध कर्म एवं पिंडदान करने से उन्हें इस चक्र से मुक्ति मिलती है और ऐसी मान्यता है कि उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है.पौष अमावस्या पर व्रत रखने और पूजा करने से कई गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है साथ ही घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. पौष अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए व्रत रखना भी मंगलकारी माना गया है. इस दिन पितृदोष और कालसर्प दोष से निजात पाने के लिए पूजा अर्चना की जाती है.पौष अमावस्या के विशेष दिन कपड़े और भोजन दान करने से केतु, राहु, शनि और बृहस्पति ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है. जो जातक इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से परेशान हैं, वे पौष अमावस्या के दिन दान-पुण्य करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

पौष अमावस्या की पूजा विधि

पौष अमावस्या के दिन प्रातः काल उठकर नदी में स्नान करना चाहिए.अगर नदी में संभव न हो तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए. एक तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल मिश्रित करने चाहिए. इसके बाद सूर्य मंत्रों का जाप कर सूर्य देव को उसी तांबे के लोटे से अर्घ्य देना चाहिए. सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए. तर्पण के बाद किसी जरूरतमंद को दान-दक्षिणा देनी चाहिए.अंत में शाम के समय पीपल के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.