Inauspicious Yog June 2024: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल 2024 में जून के महीने में एक विनाशकारी योग बनने जा रहा है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार यह समय करीब 5200 साल बाद आने वाला है. महाभारत काल में जब यह समय आया था तब कौरवों और पांडवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. उस युद्ध में लाखों लोगों की मृत्यु हो गई थी. इस योग की शुरुआत 23 जून से होने वाली है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस योग के बनने से महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई थी. इस समय को त्रयोदशी पक्ष के नाम से जाना जाता है. इसी समय पर कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरु हुआ था. अब ऐसा ही समय जून 2024 में आने वाला है. एक माह में दो पक्ष होते हैं. इनमें एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष होता है.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर माह में 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं. कभी एक तिथि घटने या बढ़ने से यह 14 या फिर 16 दिन का हो जाता है. जून 2024 में दो पक्षों दो तिथियां घट रही हैं. इस कारण इस माह में एक पक्ष 13 दिन और दूसरा पक्ष 17 दिन का होगा. ज्योतिषियों के अनुसार, इस पक्ष का त्रयोदशी पक्ष या योग कहा जाता है. इसको काफी अशुभ समय माना गया है. इस पक्ष के पड़ने की प्रमुख वजह गुरु और शुक्र का अस्त होना माना जा रहा है. माह में जो 13 दिन का पक्ष होता है, उसे काफी विनाशकारी माना जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, 13 दिन का यह अशुभ समय महाभारत काल में आया था. उस समय द्वापर युग था. उस काल में यह त्रयोदशी तिथि का अशुभ योग बना था. इस योग में ही कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी. इस युद्ध में लाखों की संख्या में सैनिक मारे गए थे. महाभारत काल जैसा ही समय कलयुग में बनने जा रहा है.
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस योग की शुरुआत 23 जून से होने जा रही है और यह 5 जुलाई तक रहने वाला है. इसका अशुभ प्रभाव केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व पर देखने को मिलेगा. इस योग के बनने से तूफान, बाढ़, सूखा आदि आपदाएं देखने मिल सकती हैं. इस समय पर लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान की सच्ची भक्ति आप इस दौरान कर सकते हैं. ऐसा करने से सकारात्मक फल प्राप्त होता है.
Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.