नई दिल्ली: लगातार बढ़ता कर्ज केवल आर्थिक स्थिति ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति भी छीन लेता है. ऐसे समय में लोग ऐसे उपायों की तलाश करते हैं, जो भरोसे और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़े हों.
धार्मिक विश्वास के अनुसार हनुमान जी की उपासना कर्ज, बाधा और भय से मुक्ति दिलाने में प्रभावी मानी जाती है. कुछ सरल उपाय जीवन में स्थिरता ला सकते हैं.
मान्यता है कि कर्ज केवल आय-व्यय का परिणाम नहीं होता, बल्कि इसके पीछे ग्रह दोष और पुराने कर्मों का प्रभाव भी हो सकता है. हनुमान जी की पूजा व्यक्ति को मानसिक बल देती है, जिससे सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है. नियमित भक्ति से आत्मविश्वास मजबूत होता है और व्यक्ति अपने आर्थिक हालात सुधारने के लिए बेहतर प्रयास कर पाता है.
प्रतिदिन स्नान के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में स्थिरता आती है. विशेष रूप से यह दोहा भक्तों में आशा और धैर्य जगाता है. माना जाता है कि इससे कर्ज से जुड़े तनाव कम होते हैं और रास्ते साफ दिखाई देने लगते हैं. नियमित पाठ व्यक्ति को नकारात्मक सोच से बाहर निकालने में मदद करता है.
मंगलवार को हनुमान जी को गुड़ और चना अर्पित करना शुभ माना जाता है. यह उपाय शनि से जुड़ी परेशानियों को शांत करने का संकेत देता है. प्रसाद को जरूरतमंदों में बांटने से सेवा और करुणा का भाव विकसित होता है, जिससे पुण्य की वृद्धि मानी जाती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव के संकेत मिलते हैं.
'ॐ ह्रीं हनुमते नमः' मंत्र का नियमित जाप भक्त को भीतर से मजबूत करता है. लाल रुद्राक्ष की माला से किया गया जाप मन को एकाग्र करता है. यह अभ्यास कर्ज की चिंता के बीच भी व्यक्ति को शांत रखता है, जिससे वह योजनाबद्ध तरीके से समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम होता है.
शनिवार को हनुमान मंदिर में सिंदूर चढ़ाने की परंपरा प्रचलित है. इसे शनि और हनुमान जी के संबंध से जोड़ा जाता है. इस दिन संयम और सादगी बनाए रखना जरूरी माना गया है. नियमपूर्वक पूजा व्यक्ति में अनुशासन लाती है, जो आर्थिक सुधार की दिशा में एक जरूरी कदम है.
दान को पुराने कर्मों के प्रभाव को कम करने का माध्यम माना गया है. हनुमान जयंती या मंगलवार को गरीबों को लाल वस्त्र और गुड़ का दान शुभ समझा जाता है. वहीं घर या कार्यालय में हनुमान यंत्र की स्थापना से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, जिससे वित्तीय बाधाओं में कमी आने की मान्यता है.
मंगलवार से शुरू होने वाला 41 दिन का संकल्प भक्ति के साथ अनुशासन भी सिखाता है. इस दौरान सात्त्विक जीवनशैली, मांस-मदिरा से दूरी और नियमित आरती व्यक्ति को आत्मसंयम की ओर ले जाती है. माना जाता है कि यह संकल्प कर्ज मुक्ति के साथ-साथ जीवन में संतुलन भी स्थापित करता है.
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