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Pradosh Vrat 2024 : पौष माह का दूसरा प्रदोष व्रत आज, इस विधि से करें भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न

Pradosh Vrat 2024 :हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी आज है. इस कारण आज प्रदोष है. मंगलवार को पड़ने के कारण इसको भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है. 

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Mohit Tiwari
lord shiva
Courtesy: pexels

हाइलाइट्स

  • हर माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है प्रदोष व्रत
  • मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को कहते हैं भौम प्रदोष

Pradosh Vrat 2024 : आज भौम प्रदोष व्रत है. हिंदू धर्म में भौम प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. इस साल जनवरी माह में ही दो भौम प्रदोष व्रत का संयोग बना है. पहला भौम प्रदोष 9 जनवरी को था और दूसरा भौम प्रदोष आज 23 जनवरी को है.

हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. वहीं,मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष नाम से जाना जाता है. मंगल के दिन भौम प्रदोष व्रत किया जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति भौम प्रदोष व्रत करता है उस पर शिव भगवान की कृपा बनी रहती है.

भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ साथ हनुमान की उपासना करने का भी विधान है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है.

पौष प्रदोष व्रत 2024 के दिन पूजन का मुहूर्त

पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की शुरुआत 22 जनवरी 2024 दिन सोमवार की शाम 07:51 से हुई थी. यह 23 जनवरी 2024 दिन मंगलवार की रात्रि 08:39 तक रहने वाली है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. सूर्यास्त के बाद रात्रि आने से पूर्व का समय प्रदोष काल होता है. आज प्रदोष काल में पूजा शाम 05:52 से रात्रि 08:33 तक की जा सकती है. 

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि

भौम प्रदोष व्रत दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.इसके पश्चात घर के मंदिर में दीप जलाएं और व्रत करने का संकल्प लें.सायं काल में पुनः मंदिर में दीप जलाएं. इसके उपरांत सर्वप्रथम भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें, उन्हें पुष्प अर्पित करें.

भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती और भगवान गणेश की भी आराधना करें. भगवान शिव को पांच फल, पांच मेवा और पांच मिष्ठान का भोग लगाएं. आखिर में भगवान शिव की आरती करें. संभव हो तो पूजन और अभिषेक के दौरान भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते रहें.