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Sawan Somvar 2025: सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी एक साथ, क्या आपने जान लिया शुभ मुहूर्त?

भक्तों के लिए यह अवसर है, जब वे दोनों देवताओं – भगवान शिव और भगवान विष्णु – की एक साथ पूजा करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं. यह दिन जीवन में समृद्धि, सुख और शांति लाने वाला माना जाता है.

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Edited By: Reepu Kumari
Sawan Somvar 2025 and  Kamika Ekadashi
Courtesy: Pinterest

Sawan Somvar 2025: सावन का पावन महीना आते ही पूरे देश में भोलेनाथ की भक्ति का रंग चढ़ जाता है. यह वो समय होता है जब मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है और हर गली-मोहल्ले में बोल बम की गूंज सुनाई देती है. इस बार सावन का दूसरा सोमवार बेहद खास पड़ रहा है, क्योंकि 21 जुलाई को एक नहीं, बल्कि कई शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं.

इस दिन न सिर्फ सावन का दूसरा सोमवार है, बल्कि कामिका एकादशी का पावन तिथि भी है. साथ ही वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग जैसे दुर्लभ योग भी इस दिन बन रहे हैं. मान्यता है कि इन शुभ संयोगों में भगवान शिव और विष्णु का पूजन और जलाभिषेक करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मनचाही सिद्धि मिलती है.

क्यों खास है ये सोमवार?

सावन के सोमवार वैसे ही भगवान शिव को प्रिय होते हैं, लेकिन जब इसमें कामिका एकादशी का भी मेल हो जाए, तो इसकी महिमा और बढ़ जाती है. कामिका एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन उपवास रखने व पूजन से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है. जब ये दिन भगवान शिव के सोमवार व्रत के साथ आता है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.

भक्तों के लिए यह अवसर है, जब वे दोनों देवताओं – भगवान शिव और भगवान विष्णु – की एक साथ पूजा करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं. यह दिन जीवन में समृद्धि, सुख और शांति लाने वाला माना जाता है.

बन रहे हैं कई शुभ योग

इस खास सोमवार को एक, दो नहीं, बल्कि तीन शुभ योग बन रहे हैं-वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वृद्धि योग किसी भी कार्य की वृद्धि और सफलता के लिए श्रेष्ठ होता है.

सर्वार्थ सिद्धि योग का मतलब है  हर काम में सफलता. और अमृत सिद्धि योग तो वैसे भी अमृत जैसा फल देने वाला माना जाता है. ये तीनों योग एक ही दिन बनना बहुत दुर्लभ होता है और यही कारण है कि ये दिन और भी खास बन गया है.

कब करें जलाभिषेक और पूजन?

शिव पूजन और जलाभिषेक का सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह 4:14 से 4:55 बजे तक है. ये समय ब्रह्म मुहूर्त के आसपास का होता है, जब पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है.

हालांकि, जिन लोगों के लिए इतनी सुबह उठना संभव न हो, वे पूरे दिन भगवान शिव का पूजन कर सकते हैं, क्योंकि सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. आप घर पर रहकर भी शिवलिंग पर जल अर्पण, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाकर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.

नोट: अगर आप व्रत रखते हैं, तो भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करें और कामिका एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें. यह दिन आपके जीवन में शांति, सौभाग्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर सकता है.