Janmashtami 2025: सिर्फ जन्माष्टमी पर ही क्यों होती है बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती? जानें इससे जुड़ी दिलचस्प कथा

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी की एक विशेषता है यहां मंगला आरती सिर्फ जन्माष्टमी के दिन होती है और साल के बाकी दिनों में यह पूजा नहीं की जाती. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.

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Princy Sharma

Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व हो और वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर का जिक्र न हो, ऐसा सोचना भी मुश्किल है. भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में भगवान के बाल रूप की पूजा की जाती है. जन्माष्टमी के अवसर पर यहां का माहौल पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में डूबा होता है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस पवित्र स्थान पर दर्शन के लिए उमड़ती है. इस खास दिन की एक और विशेषता है यहां मंगला आरती सिर्फ जन्माष्टमी के दिन होती है और साल के बाकी दिनों में यह पूजा नहीं की जाती. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है.

बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा होती है और श्रद्धालु उन्हें एक छोटे बच्चे की तरह पूजा करते हैं. छोटे बच्चों की तरह ही भगवान कृष्ण भी सुबह देर तक सोते हैं. चूंकि मंगला आरती सुबह-सुबह होती है, इस दिन कान्हाजी की नींद खराब नहीं की जाती. श्रद्धालु इसे भगवान के प्रति श्रद्धा का तरीका मानते हैं, ताकि कान्हाजी जब अपनी नींद पूरी कर उठें, तो प्रसन्न होकर दर्शन दें.

निधिवन से रास रचाने के बाद लौटते हैं कान्हाजी

इसके अलावा एक और मान्यता है कि भगवान कृष्ण रात को गोपियों के साथ रास रचाने के लिए निधिवन जाते हैं. वहां वह गोपियों के साथ देर रात तक रास रचाते हैं और सुबह के तीसरे पहर में मंदिर लौटते हैं. इस कारण उन्हें मंगला आरती के लिए जल्दी उठाना नहीं जाता, क्योंकि वह रास रचाने में थक चुके होते हैं.

जन्माष्टमी पर विशेष मंगला आरती

अब सवाल यह है कि जब पूरे साल मंगला आरती नहीं होती तो जन्माष्टमी पर ही यह पूजा क्यों होती है? इसका कारण यह है कि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था और यह एक बहुत खास अवसर है. जन्माष्टमी के दिन रातभर जागरण होता है और रात 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म होते ही मंगला आरती की जाती है. इस आरती के जरिए ठाकुर जी के पहले दर्शन किए जाते हैं और उनका स्वागत किया जाता है.