Chhath Puja 2024: महापर्व छठ का आगाज हो चुका है. आज गुरुवार 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा. लोक आस्था के इस महापर्व का उत्साह यूपी बिहार झारखंड के लोंगों में ज्यादा देखने को मिलता है. इस महापर्व को सबसे कठन व्रत भी कहा जाता है. इसके लिए पीछे की वजह है कि इसके लिए आपको 36 घंटे तक बिना खाना पानी के रहना पड़ता है. इससे जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. उन्हीं में से एक है कि इसमें उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है फिर छठी मैया की पूजा क्यों की जाती है. इसके पीछे की कथा बहुत ही रोचक है. चलिए आपको बताते हैं.
सूर्य देव भारतीय संस्कृति में अत्यधिक पूज्य और महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं. उनका महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि वे जीवन के संचारक, ऊर्जा के स्रोत और स्वास्थ्य के रक्षक के रूप में भी पूजे जाते हैं. भारतीय पर्वों में सूर्य देव की पूजा विशेष रूप से छठ पूजा में प्रकट होती है, जहां सूर्य देव की उपासना का महत्व विशेष रूप से देखा जाता है.
सूर्य देव की पूजा में छठी मैया का नाम लेना और उसे विशेष रूप से पूजा में शामिल करना एक पुरानी परंपरा है, जिसका पौराणिक महत्व और कथाएं कई शताब्दियों से चली आ रही हैं. इस लेख में हम सूर्य देव की पूजा, छठी मैया के महत्व और इसकी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे.
पुराणों में इसका जिक्र है कि लोकभाषा में देवी षष्ठी को ही छठी मैया भक्त कहते हैं. उनके पिता ऋषि कश्यप और माता अदिति हैं. वो मानस पुत्री के रूप में जानी जाती है. वो सूर्य देव की
बहन भी है. इनका एक और नाम है देवसेना.
सूर्य देव का पूजन आदिकाल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है. उन्हें जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, और उनकी उपासना से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. विशेष रूप से छठ पूजा जैसे पर्वों में सूर्य देव की पूजा से भक्तों को अपने दुखों से मुक्ति, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
छठी मयान का नाम विशेष रूप से छठ पूजा में लिया जाता है. यह एक महत्वपूर्ण पूजा विधि है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. छठ पूजा के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए विशेष रूप से शाम के समय नदियों और तालाबों के किनारे पूजा अर्चना की जाती है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, छठी मयान एक विशेष स्थान है जहां देवी सूर्य के आशीर्वाद से जीवन के विभिन्न पहलुओं में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है. इसे एक तरह से सूर्य देव की पत्नी, उषा या छठी मैया का स्थान माना जाता है, और यही कारण है कि इसे पूजा में एक विशेष स्थान दिया जाता है.
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, सूर्य देव की पूजा के दौरान, देवी उषा ने अपनी कठिन तपस्या के बाद सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त किया था. उषा देवी ने सूर्य देव को अपने घर में आमंत्रित किया और उन्हें अर्घ्य अर्पित किया, जिसके फलस्वरूप सूर्य देव ने उषा देवी को आशीर्वाद दिया और उनके घर में सुख, समृद्धि और समृद्धि का वास हुआ.
यहीं से यह परंपरा शुरू हुई, जहां लोग सूर्य देव की उपासना करते हुए छठी मैया को अर्पित करते हैं.
छठ पूजा का महत्व केवल सूर्य देव की पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण जीवन की पूजा है, जिसमें लोग परिवार, समाज और खुद के जीवन में सुधार की कामना करते हैं. यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, समृद्धि और एकता का प्रतीक भी बनती है.
सूर्य देव की पूजा और छठी मैया का नाम लेना एक गहरी सांस्कृतिक परंपरा है, जो हमारी धार्मिक और सामाजिक धारा का एक अभिन्न हिस्सा है. यह न केवल हमारे पूर्वजों के धार्मिक आस्थाओं को दर्शाता है, बल्कि हमारे जीवन में सूर्य देव के आशीर्वाद की आवश्यकता और महत्व को भी रेखांकित करता है.
इस पूजा के माध्यम से लोग न केवल अपने परिवार के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता, प्रेम और समृद्धि की तलाश करें.