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आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देने का शुभ समय, जानें पूजा विधि, छठी मइया का महत्व और धार्मिक मान्यता

आज डूबते सूर्य को छठ व्रती पहला अर्घ्य देंगे. शाम 5:10 से 5:58 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा. छठी मइया की पूजा से आरोग्य, सौभाग्य और संतान सुख की प्राप्ति होती है.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: छठ महापर्व का तीसरा दिन आज पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. व्रती महिलाएं और पुरुष घाटों पर पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देने की तैयारी में जुटे हैं. चार दिन चलने वाले इस पर्व में आज का दिन विशेष होता है, जब सूर्य भगवान और छठी मइया की आराधना की जाती है. खरना के बाद से व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ हो चुका है, जो अत्यंत कठिन लेकिन पवित्र माना जाता है.

आज व्रती शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे और कल उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर इस पवित्र व्रत का समापन करेंगे. धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में आरोग्य, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर घाटों पर भक्ति गीतों की गूंज, दीपों की रोशनी और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा, जो वातावरण को दिव्य बना देता है.

संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त क्या है?

छठ पूजा 2025 में पहला अर्घ्य आज यानी सोमवार, 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को दिया जाएगा. संध्या अर्घ्य का शुभ समय शाम 5:10 बजे से 5:58 बजे तक रहेगा. वहीं, दूसरा अर्घ्य यानी उदीयमान सूर्य को अर्घ्य 28 अक्टूबर सुबह 5:33 बजे से 6:30 बजे तक अर्पित किया जाएगा. इन समयों पर घाटों पर पूजा-अर्चना और सूर्यदेव की आराधना का विशेष महत्व है.

छठ पूजा की शुरुआत कब और कैसे होती है?

छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला पर्व है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. दूसरे दिन खरना होता है, जहां व्रती शाम को गुड़-खीर और रोटी बनाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है जो संध्या और उषा अर्घ्य तक चलता है. यहां हमने बताया है संध्या अर्घ्य के महत्व क्या हैं


छठी मइया कौन हैं और उनकी पूजा क्यों की जाती है?

छठी मइया को ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन माना जाता है. उन्हें उर्वरता, समृद्धि और संतान रक्षा की देवी कहा गया है. लोक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा से छठी मइया की पूजा करता है, उसके परिवार में सुख, स्वास्थ्य और संतान की सुरक्षा बनी रहती है. बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है.

सूर्य पूजा का धार्मिक महत्व क्या है?

सनातन धर्म में सूर्य को पंचदेवों में एक प्रमुख देवता माना गया है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य नवग्रहों के राजा हैं और आत्मा के कारक माने जाते हैं. जिनकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, उन्हें सम्मान, पद और सफलता प्राप्त होती है. छठ पूजा में सूर्य की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

अर्घ्य देने की विधि क्या है?

व्रती स्नान करके साफ वस्त्र धारण करते हैं और घाट पर बांस के सूप में ठेकुआ, केला, नारियल, दीपक, फल आदि रखकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. महिलाएं जल में खड़ी होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. पूरे वातावरण में "जय छठी मइया" के जयकारे गूंजते हैं. यह क्षण भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण होता है.

छठ पूजा में कौन से नियमों का पालन जरूरी है?

व्रती को छठ के दौरान सात्विक आहार, संयम और शुद्धता का पालन करना होता है. पूजा में लहसुन-प्याज का प्रयोग वर्जित है. घर में प्रसाद बनाने से पहले स्नान और सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. व्रत के दौरान किसी से झगड़ा या क्रोध करना अशुभ माना जाता है.

क्या मौसम छठ पूजा को प्रभावित कर सकता है?

इस वर्ष मौसम विभाग ने हल्की ठंड और साफ आसमान की संभावना जताई है. हालांकि, कुछ इलाकों में हल्की हवा चलने से घाटों पर ठंडक बढ़ सकती है. प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था और साफ-सफाई के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो.

छठ पूजा

छठ पूजा सूर्य और छठी मइया की आराधना का पावन पर्व है, जो आत्मसंयम, शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है. आज डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देकर लोग सुख-समृद्धि की कामना करेंगे और कल उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगे. श्रद्धा, आस्था और सामूहिकता से जुड़ा यह पर्व समाज में एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.