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नहाय-खाय आज, छठ व्रत शुरु करने से पहले जान लें पहले दिन के नियम और महत्व

छठ पूजा 2025 की शुरुआत आज नहाय-खाय से हुई. जानिए नहाय-खाय का महत्व, इसके नियम, पारंपरिक भोजन और इस दिन की धार्मिक आस्था से जुड़ी पूरी जानकारी.

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Edited By: Reepu Kumari
Nahay-Khay is today; before starting the Chhath vrat, know the rules and importance of the first day
Courtesy: Gemini

नई दिल्ली: आज 25 अक्तूबर, शनिवार से सूर्य उपासना के महापर्व ‘छठ पूजा’ की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो चुकी है. यह दिन सिर्फ पूजा का आरंभ नहीं, बल्कि शुद्धता, संयम और सात्विक जीवन का संदेश देने वाला पवित्र अवसर है.

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला नहाय-खाय छठ व्रतधारियों के लिए सबसे पहला और जरूरी चरण होता है, जिसमें शारीरिक और मानसिक पवित्रता का विशेष महत्व होता है.

छठ पर्व के चार दिवसीय व्रत की शुरुआत

इस दिन व्रती सुबह स्नान कर घर को पवित्र करते हैं, सात्विक भोजन तैयार करते हैं और सूर्य देव को अर्पित कर ही उसे ग्रहण करते हैं. नहाय-खाय से छठ पर्व के चार दिवसीय व्रत की शुरुआत होती है, जो उषा अर्घ्य अर्पित करने के साथ पूर्ण होता है. इस दौरान व्रती कठोर नियमों, संयम और भक्ति के साथ सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार हो सके.

नहाय-खाय के नियम क्या है?

नहाय-खाय का दिन छठ पूजा का आधार माना जाता है. इस दिन घर की पूर्ण सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. व्रती प्रातःकाल स्नान कर नए या साफ वस्त्र धारण करते हैं और सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं. इसके बाद सात्विक भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें लहसुन-प्याज या किसी भी तामसिक वस्तु का प्रयोग वर्जित होता है. भोजन में आमतौर पर कद्दू की सब्जी, चने की दाल और भात का सेवन किया जाता है. यह भोजन पहले सूर्य देव को अर्पित कर ही ग्रहण किया जाता है.

नहाय-खाय का आध्यात्मिक महत्व क्या है?

छठ पूजा में नहाय-खाय सिर्फ भोजन या स्नान का दिन नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता का प्रतीक है. इस दिन व्रती अपने मन, शरीर और विचारों को संयमित करते हैं ताकि आने वाले चार दिनों तक चलने वाले उपवास को पूरी निष्ठा से निभा सकें. नहाय-खाय व्रती को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है और उन्हें सूर्य उपासना के लिए तैयार करता है. सात्विक भोजन और शुद्ध विचारों का पालन मन को स्थिरता और आत्मबल प्रदान करता है.

छठ पूजा 2025 का कैलेंडर

पहला दिन: नहाय-खाय – 25 अक्तूबर, शनिवार

दूसरा दिन: खरना पूजन – 26 अक्तूबर, रविवार

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य – 27 अक्तूबर, सोमवार

चौथा दिन: उषा अर्घ्य – 28 अक्तूबर, मंगलवार

यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, ओडिशा और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसे सूर्य षष्ठी, डाला पूजा या डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है.

नहाय-खाय का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ नहाय-खाय के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं. सात्विक भोजन शरीर को विषमुक्त करता है, जबकि स्नान से शरीर और मन की शुद्धि होती है. सूर्य देव को जल अर्पित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.