menu-icon
India Daily

Mahakumbh 2025: महाबली भीम से कम नहीं हैं ‘मस्कुलर बाबा’, रुस में हुए पैदा, 3 साल पहले अपनाया हिंदू धर्म

गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के पवित्र संगम पर शिविर लगाने वाले कई संतों में से आत्म प्रेम गिरी महाराज, जिन्हें लोकप्रिय रूप से 'मस्कुलर बाबा' कहा जाता है, अपनी विशिष्ट शारीरिक बनावट के कारण चर्चा में हैं.

auth-image
Edited By: Garima Singh
muscular baba in mahakumbh
Courtesy: instagram

Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 ने देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है. इस भव्य आध्यात्मिक समागम में साधु-संतों और तीर्थयात्रियों का संगम देखा जा रहा है.

गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के पवित्र संगम पर शिविर लगाने वाले कई संतों में से आत्म प्रेम गिरी महाराज, जिन्हें लोकप्रिय रूप से "मस्कुलर बाबा" कहा जाता है, अपनी विशिष्ट शारीरिक बनावट के कारण चर्चा में हैं.

7 फुट लंबे 'मस्कुलर बाबा' की कहानी

भगवा वस्त्र धारण किए और रुद्राक्ष की माला पहने 7 फीट लंबे 'आत्म प्रेम गिरी महाराज' की उपस्थिति ने भक्तों और श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया है. उनकी अद्वितीय काया ने लोगों को उनकी तुलना हिंदू देवता भगवान परशुराम से करने के लिए प्रेरित किया. भगवान परशुराम, जो अपने बल और वीरता के लिए प्रसिद्ध हैं, को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. आत्म प्रेम गिरी महाराज का असली नाम अभी रहस्य बना हुआ है. मूल रूप से रूस से आए महाराज ने 30 साल पहले सनातन धर्म अपनाया और तभी से अपने जीवन को हिंदू धर्म के प्रचार और रक्षा के लिए समर्पित कर दिया.

आध्यात्मिकता के लिए करियर छोड़ा

कभी रूस में शिक्षक का कार्य करने वाले गिरी महाराज ने आध्यात्मिक जीवन को प्राथमिकता देते हुए अपनी पेशेवर जिंदगी छोड़ दी. नेपाल में निवास करने वाले आत्म प्रेम गिरी महाराज हिंदू धर्म के प्रमुख अखाड़ों में से एक, जूना अखाड़ा, के सदस्य हैं. सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं. एक इंस्टाग्राम यूजर द्वारा साझा की गई उनकी तस्वीर को देखते ही देखते हजारों लाइक्स और "हर हर महादेव" जैसे कमेंट्स मिले.

महाकुंभ के अन्य चर्चित साधु

महाकुंभ में केवल 'मस्कुलर बाबा' ही नहीं, बल्कि अन्य असामान्य संत भी अपनी कहानियों से लोगों को प्रेरित कर रहे हैं.

अभय सिंह - आईआईटी बाबा

हरियाणा से आए अभय सिंह ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के अपने पेशेवर करियर को छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग चुना. उनके जीवन में यह परिवर्तन उन्हें अद्वितीय बनाता है.

महंत राजपुरी जी - कबूतर वाले बाबा

राजपुरी जी महाराज अपने अनोखे साथी, "हरि पुरी" नामक कबूतर के साथ एक दशक से अधिक समय से रहते हैं. यह कबूतर हमेशा उनके सिर पर बैठा रहता है, जो उनके शांति और दयालुता के दर्शन का प्रतीक है.

महाकुंभ की अनोखी छवि

महाकुंभ का यह भव्य आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि यह हमें दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने और सनातन धर्म की सार्वभौमिकता को समझने का अवसर भी देता है.