कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया तट पर एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया. एक मादा जंगली भेड़िया वीडियो में समुद्र से केकड़ा पकड़ने वाला जाल खींचकर बाहर निकालती और उसमें रखे चारे को खाती नजर आई.
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह भेड़ियों द्वारा किसी उपकरण या तकनीक का उपयोग करने का पहला प्रमाण है. यह जाल स्थानीय स्वदेशी समुदाय हेइल्त्सुक द्वारा पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम के तहत लगाए गए थे. यह घटना पशु व्यवहार को समझने में बड़ा मोड़ मानी जा रही है.
हेइल्त्सुक समुदाय ने यूरोपीय ग्रीन क्रैब नामक हानिकारक प्रजाति को नियंत्रित करने के लिए ये जाल लगाए थे. कुछ समय बाद जाल क्षतिग्रस्त मिलने लगे. पहले अनुमान लगाया गया कि यह काम भालू या भेड़िये का हो सकता है, लेकिन गहरे पानी में लगे जालों तक पहुंचना उनके लिए असंभव माना गया. इसी सवाल ने वैज्ञानिकों को कारण खोजने के लिए प्रेरित किया.
शोध में पाया गया कि कुछ जाल उथले पानी में लगे थे, जहां कोई बड़ा जानवर पहुंच सकता था, पर कई जाल कम ज्वार में भी पूरी तरह पानी के भीतर रहते थे. इसीलिए शोधकर्ताओं ने मान लिया कि न तो भालू और न ही भेड़िया इन तक पहुंच सकता है. सवाल था आखिर जालों को नुकसान पहुंचा कौन रहा है?
सच्चाई सामने लाने के लिए शोधकर्ताओं ने कैमरे लगाए. उनका अनुमान था कि यह काम ऊदबिलाव या सील जैसा कोई समुद्री जीव कर रहा होगा. लेकिन फुटेज देखकर वे स्तब्ध रह गए. फुटेज में एक भेड़िया तैरकर किनारे आती दिखी, जिसके मुंह में जाल की बोई थी. उसने बोई को रेत पर गिराया और उससे जुड़ी रस्सी खींचकर जाल को पानी से बाहर निकाल लिया.
यहां देखें वीडियो
Incredible. This wolf sees a buoy out in deep water and recognizes it's attached to a crab trap filled with food as bait. She swims over to the buoy and pulls it to shore, knowing it'll drag the trap w/ bait out, too. Voila, free meal.
— Wayne Hsiung (@waynehhsiung) November 19, 2025
Animals use tools, just like us. pic.twitter.com/Sf55r8XS4g
शोधकर्ताओं का कहना है कि भेड़िया अंधाधुंध या खेल-खेल में रस्सी नहीं खींच रही थी, बल्कि उसे पूरी तरह पता था कि उसे क्या करना है. वह जाल दिखाई देने का इंतजार करती रही और फिर चारा खा लिया. वैज्ञानिकों का मानना है कि भेड़िया यह तरीका इंसानों को देखकर या पहले उथले पानी में जाल मिलने पर सीख सकती है.
पशु व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि अब आगे के अध्ययन से ही पता चलेगा कि क्या यह कौशल अन्य भेड़ियों में भी होता है. यदि ऐसा हुआ तो यह व्यवहार उनके समूह में एक सांस्कृतिक प्रक्रिया की तरह विकसित हो सकता है. यह खोज पशुओं की बुद्धिमत्ता और उनकी सीखने की क्षमता को नए दृष्टिकोण से समझने का अवसर देती है.