शुक्रवार की रात मेरठ के एक रेस्टोरेंट में एक विवाद ने जन्म लिया, जब रेस्टोरेंट ने एक शाकाहारी परिवार को गलती से मांसाहारी भोजन परोस दिया. इस घटना ने न सिर्फ रेस्टोरेंट की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि धार्मिक संवेदनशीलता को लेकर एक नई बहस को भी जन्म दिया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे लोगों में गहरी नाराजगी और आक्रोश फैल गया. यह घटना मेरठ के गंगा नगर स्थित एक रेस्टोरेंट में घटी, जहाx एक परिवार डिनर के लिए आया था. इस परिवार में एक प्रसिद्ध स्थानीय ज्योतिषी, उनकी पत्नी और बच्चे शामिल थे. परिवार ने रेस्टोरेंट में शाकाहारी भोजन का ऑर्डर दिया था, क्योंकि उनकी धार्मिक मान्यताएं मांसाहार से दूर रहने की थीं. परिवार ने रेस्टोरेंट में विशेष रूप से शाकाहारी भोजन की मांग की थी ताकि उनके आहार से जुड़ी धार्मिक प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन न हो.
हालांकि, रेस्टोरेंट की ओर से गलती हो गई और उन्हें शाकाहारी भोजन की जगह भुना हुआ चिकन परोस दिया गया. परिवार ने तुरंत इस गलती पर आपत्ति जताई और रेस्टोरेंट पर आरोप लगाया कि यह उनके धार्मिक विश्वासों का अपमान था. स्थानीय ज्योतिषी और उनके परिवार ने इस लापरवाही को लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की.
#मेरठ में "रोमियोलेन रेस्त्रां" में एक सनातनी फैमिली को मुस्लिम स्टाफ सुल्तान ने "रोज चिकन" परोस दिया
— Narendra Pratap (@hindipatrakar) December 8, 2024
अपने ऑर्डर के बीच सभी लोग यह खा गए. बिल आया तो पता चला मांस भी खाया है. फिर जमकर हंगामा हुआ
सनी अग्रवाल नाम का सनातनी इस रेस्त्रां का मालिक है
यहां शानदार बार भी है pic.twitter.com/wBYJ9cp8ZH
वायरल वीडियो पर मचा बवाल
यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जहाँ लोगों ने रेस्टोरेंट की इस लापरवाही की आलोचना की. वीडियो में परिवार की नाराजगी साफ़ दिखाई दे रही थी, और लोग यह महसूस कर रहे थे कि रेस्टोरेंट ने न सिर्फ एक गलत आदेश परोसा, बल्कि एक धार्मिक समुदाय की भावनाओं का भी उल्लंघन किया. सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई, जिसमें लोग धार्मिक संवेदनशीलता और व्यावसायिक जिम्मेदारियों पर विचार कर रहे थे. कुछ लोगों का कहना था कि रेस्टोरेंट को अपने ग्राहकों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था और ऐसे मामलों में विशेष ध्यान रखना चाहिए था. वहीं, कुछ अन्य ने इसे एक सामान्य गलती मानते हुए रेस्टोरेंट को समझाने की अपील की और कहा कि यह घटना बिना किसी दुष्कृत्ति के हुई थी.
इस घटना ने एक बार फिर से धार्मिक संवेदनशीलता पर बहस छेड़ दी है. भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में जहां विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों के लोग रहते हैं, वहां ऐसी घटनाएं आसानी से विवाद का कारण बन सकती हैं. लोगों ने यह सवाल उठाया कि क्या व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को अपने ग्राहकों के धार्मिक आहार परंपराओं का सम्मान करना चाहिए? क्या यह सिर्फ एक गलती थी, या यह किसी वर्ग विशेष के प्रति असंवेदनशीलता को दर्शाता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि रेस्टोरेंट्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों को अपने ग्राहकों की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान करना चाहिए. ऐसी घटनाएं न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करती हैं, बल्कि यह व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए भी नकरात्मक प्रभाव छोड़ सकती हैं.