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India Daily

बेंगलुरु में ट्रैफिक समस्याओं के बीच बढ़ता किराया बना सिर दर्द, महिला की एक्स पोस्ट से 'उबर बनाम मीटर' विवाद ने पकड़ा तूल

बेंगलुरु, भारत की तकनीकी राजधानी, अपनी ट्रैफिक समस्याओं और ऑटो रिक्शा के बढ़ते किराए के लिए हमेशा चर्चा में रहता है.

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Edited By: Garima Singh
Uber vs meter row
Courtesy: X

Uber vs Meter: बेंगलुरु, भारत की तकनीकी राजधानी, अपनी ट्रैफिक समस्याओं और ऑटो रिक्शा के बढ़ते किराए के लिए हमेशा चर्चा में रहता है. हाल ही में, एक स्थानीय महिला यात्री की सोशल मीडिया पोस्ट ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. इस पोस्ट में ऑटो मीटर और ऑनलाइन बुकिंग ऐप्स के किराए के बीच भारी अंतर को उजागर किया गया, जिसने नेटिज़न्स के बीच तीखी बहस छेड़ दी है.

बेंगलुरु की अदिति श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी ऑटो यात्रा का अनुभव साझा किया. उन्होंने 2.6 किलोमीटर की यात्रा के लिए दो तस्वीरें पोस्ट कीं. पहली तस्वीर में ऑटो मीटर पर किराया 39 रुपये दिखाया गया, जबकि दूसरी तस्वीर में उसी दूरी के लिए ऑनलाइन बुकिंग ऐप पर किराया 172.45 रुपये था. इस भारी अंतर ने कई लोगों का ध्यान खींचा. अपनी निराशा व्यक्त करते हुए अदिति ने लिखा, "मीटर पर कीमत बनाम उबर पर कीमत. अगर आपके पास बेंगलुरु में अपना वाहन नहीं है, तो आप मुश्किल में हैं."

ऑनलाइन ऐप्स पर शोषण का आरोप

बेंगलुरु में ऑटो किराए में वृद्धि लंबे समय से नागरिकों के लिए परेशानी का सबब रही है. अदिति की पोस्ट ने इस मुद्दे को और हवा दी, जिसके बाद कई यूजर्स ने ऑनलाइन बुकिंग ऐप्स पर शोषण का आरोप लगाया. एक यूजर ने टिप्पणी की, "इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा पूर्ण शोषण." एक अन्य यूजर ने अपनी शिकायत में कहा, "पिछले कुछ दिनों से उबर लगभग यही दिखा रहा है कि मीटर कितना चलेगा. ड्राइवर राइड स्वीकार नहीं कर रहे हैं. ओला और एनवाई राइड की पुष्टि कर रहे हैं, क्योंकि उनकी कीमत 50 या उससे अधिक है."

आपूर्ति-मांग या अनुचित नीतियां?

कई यूजर्स ने ऑनलाइन ऐप्स की कीमत निर्धारण नीतियों पर सवाल उठाए. एक यूजर ने लिखा, "उबर की कीमतें आपूर्ति-मांग पर आधारित हैं, जबकि मीटर की कीमतें सरकार द्वारा तय की जाती हैं. निष्पक्षता के लिए इसे हमेशा आपूर्ति-मांग पर आधारित होना चाहिए, लेकिन (3x) बैंगलोर सरकार और ऑटो माफिया बाइक टैक्सी प्रतिबंध और गैर-कन्नड़ ऑटो को हटाने के साथ इसे निष्पक्ष रूप से होने नहीं देते हैं."

क्या है समाधान?

बेंगलुरु में बढ़ते किराए और ऑनलाइन ऐप्स की अनुचित कीमतों ने शहरवासियों को परेशान कर रखा है. कई लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार और परिवहन प्राधिकरण इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाएं. साथ ही, ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म्स को अपनी कीमत निर्धारण नीतियों में पारदर्शिता लाने की जरूरत है. यह विवाद न केवल बेंगलुरु की परिवहन व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि तकनीक और पारंपरिक सेवाओं के बीच संतुलन बनाना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.