वायनाड की जनता ने भारतीय सेना के जवानों को भावभीनी विदाई दी है. वायनाड में आए भयानक आपदा में सैकड़ों लोग मारे गए. अभी बचाव अभियान जारी है. रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना की मदद ली गई. जब सेना अपना वहां से लौट रही थी तब स्थानीय लोगों सेनी की टुकड़ी को भावुक विदाई दी. कोच्चि रक्षा जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में सैनिकों को अपने आवास से निकलते दिखाया है.
जब सेना की टुकड़ी आवास से बाहर निकल रही थी तब स्थानीय लोग वहां आ गए. सभी ने खड़े होकर तालियां बजाई. प्रादेशिक सेना की 122 वीं इन्फैंट्री बटालियन के सैनिकों को माउंट टैबोर स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा भी सम्मानित किया गया, जहा बचाव दल को ठहराया गया था.
कोच्चि रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने ट्वीट किया कि हम अपने बहादुर नायकों के प्रति बहुत आभारी हैं जिन्होंने भूस्खलन बचाव अभियान के दौरान अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया. आपके साहस और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकेगा. सैनिकों के जाते समय स्थानीय लोगों ने मानव श्रृंखला बनाई और 'भारत माता की जय' तथा 'भारतीय सेना की जय' के नारे लगाए.
#WATCH | Wayanad Landslide, Kerala | Residents bid farewell to Indian Army contingent including Dog squad as they exit Wayanad after a stretched search, rescue and restoration operation.
— ANI (@ANI) August 9, 2024
(Source - Indian Army) pic.twitter.com/hAR7ChFDnz
वायनाड जिला प्रशासन ने बचाव और खोज अभियान में शामिल सैन्यकर्मियों के लिए विदाई समारोह का भी आयोजन किया. कर्नल परमवीर सिंह नागरा ने एएनआई को बताया कि यह स्थानीय लोगों और प्रशासन के सहयोग से मेजर जनरल मैथ्यू के नेतृत्व में किया गया एक संयुक्त अभियान था. स्वयंसेवकों की कोई कमी नहीं थी. न केवल वायनाड से बल्कि केरल, तमिलनाडु के सभी जिलों से लोग आए और हमारी सहायता की.
भारी बारिश के बीच चार घंटे के भीतर हुए लगातार तीन भूस्खलन ने 31 जुलाई को वायनाड के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में तबाही मचा दी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सेना और नौसेना सहित कई बचाव एजेंसियों द्वारा हजारों लोगों को बचाया गया है, लेकिन 138 लोग अभी भी लापता हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 10 अगस्त को वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे.