सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें मनाली के टैक्सी ड्राइवर की ईमानदारी ने लोगों का दिल जीत लिया है. मुंबई से आए एक पर्यटक का कीमती कैमरा गियर वाला बैग सफर के दौरान खो गया था, लेकिन ड्राइवर ने न सिर्फ बैग सुरक्षित रखा, बल्कि उसे खोजकर पर्यटक तक पहुंचाने के लिए खुद लंबा सफर तय किया. वीडियो शेयर होने के बाद सोशल मीडिया पर लोग उनकी सादगी, ईमानदारी और जिम्मेदारी को “असली भारत” की मिसाल बता रहे हैं.
पर्यटक ने बताया कि मनाली यात्रा के दौरान उनका बैग कहीं छूट गया था. उस बैग में एक कैमरा सहित लाखों रुपये के गियर थे. उन्होंने कहा कि इतना महंगा सामान खो जाने से वे बेहद तनाव में थे तभी उनके पास एक फोन आया ओर वो फोन उसी टैक्सी ट्राइवर का था जिसमें बैठकर उन्होंने यात्रा की थी. टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें बताया कि उनका बैग सुरक्षित है और वह उस बैग को लौटाने आ रहा है.
वीडियो शेयर करने वाले निखिल सैनी ने पोस्ट में लिखा कि भारत में भी ऐसे लोग हैं जो बिना किसी दिखावे के ईमानदारी निभाते हैं. उन्होंने बताया कि ड्राइवर सतीश कुमार को लगभग दस लाख रुपये कीमत के कैमरा उपकरण वाला बैग मिला था. सतीश ने बिना देर किए उसे उसके मालिक तक पहुंचाया और इसके लिए खुद सफर कर आए. सैनी ने इसे “रियल हीरो” वाली मिसाल बताया.
Indians dont believe in exaggerating nor do we have a culture of loud PR, yet real heroes walk among us. Last month a Manali taxi driver Satish Kumar found a bag worth almost ten lakh with a camera and costly gear. He drove all the way just to return it to the tourist. https://t.co/8PLVqRsP5D pic.twitter.com/KfRxOWgb5G
— Nikhil saini (@iNikhilsaini) November 28, 2025Also Read
वीडियो पर तीन लाख से अधिक व्यू आ चुके हैं और लोग लगातार प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कई यूजर्स ने कहा कि ऐसी घटनाएं आम लोगों पर भरोसा मजबूत करती हैं. किसी ने इसे “इंडिया की असली आत्मा” बताया, तो किसी ने लिखा कि प्रचार और शोऑफ से दूर ऐसी अच्छाई प्रेरणादायक होती है.
कुछ यूजर्स ने माना कि ऐसे उदाहरण पर्यटन स्थलों पर लोगों का विश्वास बढ़ाते हैं. एक कमेंट में कहा गया कि इस तरह की कहानियों को नकारात्मक खबरों से ज्यादा पहचान मिलनी चाहिए, क्योंकि सतीश कुमार जैसे लोग वही भारत दिखाते हैं जिसके बारे में अक्सर बात नहीं होती.
लोगों ने यह भी लिखा कि बड़े शहरों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक, ईमानदारी और मानवीय संवेदनाएं अभी भी जीवित हैं. सतीश कुमार का यह कदम इसी बात का प्रमाण है कि अच्छाई हमेशा शांत होती है, लेकिन उसका असर गहरा छोड़ जाती है.