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India Daily

'9 घंटे की शिफ्ट, 12,000 सैलरी', युवा पेशेवर ने 3 घंटे में छोड़ी पहली नौकरी

एक युवा पेशेवर ने वर्क कलचर और शुरुआती वेतन पर चर्चा छेड़ दी है, जब उसने बताया कि उसने अपनी पहली नौकरी पहली शिफ्ट के सिर्फ तीन घंटे बाद ही छोड़ दी.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Young professional quits first job
Courtesy: Photo-Grab

नई दिल्ली: एक युवा पेशेवर ने वर्क कलचर और शुरुआती वेतन पर चर्चा छेड़ दी है, जब उसने बताया कि उसने अपनी पहली नौकरी पहली शिफ्ट के सिर्फ़ तीन घंटे बाद ही छोड़ दी. यूज़र ने बताया कि उसे घर से काम करना था, 9 घंटे काम करना था और न्यूनतम काम का दबाव का वादा किया गया था, लेकिन मासिक वेतन सिर्फ़  12,000 था.

उसने रेडिटर पर लिखा कि आज मुझे पहली नौकरी मिल गई. यह घर से काम करने वाली अच्छी नौकरी थी और काम का दबाव भी कम था. लेकिन शिफ्ट 9 घंटे की थी और वेतन मात्र 12 हज़ार था और आगे बताया कि उन्हें लगा था कि वे यह नौकरी संभाल लेंगे. हालांकि, तीन घंटे बाद मुझे एहसास हुआ कि इसमें मेरा सारा समय लग जाएगा और मैं अपने करियर में आगे नहीं बढ़ पाऊंगा. इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी. 

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सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. कुछ उपयोगकर्ताओं ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए तर्क दिया कि समय की प्रतिबद्धता के हिसाब से वेतन बहुत कम है. हालांकि, अन्य लोगों ने आगे बढ़ने से पहले अनुभव प्राप्त करने के लिए एक ही पद पर लंबे समय तक बने रहने की सलाह दी.

एक यूजर ने लिखा, "शांत रहो यार, मुझे लगता है यहां हर कोई नशे में धुत है. अगर बात पैसों की नहीं है और नौकरी तुम्हें संतुष्टि नहीं दे रही है तो मुझे नहीं लगता कि तुम्हें यह काम करना चाहिए. उम्मीद है तुम्हें अपनी पसंद की नौकरी मिल जाएगी." दूसरे ने लिखा हफ़्ते के सातों दिन 9 घंटे काम करना पागलपन है. ऐसी बात को स्वीकार ही क्यों करें? आपको कुछ अच्छा ज़रूर मिलेगा. तलाश जारी रखें!" किसी और ने टिप्पणी की.

एक तीसरे यूज़र ने कहा कि बुद्धिमानी भरा फैसला. नौकरी ही सब कुछ नहीं है! यह ज़िंदगी का हिस्सा है! काम और ज़िंदगी के संतुलन को लेकर आपकी चिंता लाजवाब है! एक यूजर ने लिखा, "मुझे यहां बुरा आदमी बनना पसंद नहीं, लेकिन इस मानसिकता के साथ तो आप हर काम के लिए अयोग्य ही हैं. हर किसी के अच्छे और बुरे दिन आते हैं, ये रोज़मर्रा का काम नहीं है. मुझे याद है कि मेरा पहला दिन बहुत थका देने वाला था - मुझे ढेर सारे दस्तावेज़ों, एनडीए, कॉन्ट्रैक्ट वगैरह पर दस्तखत करने पड़े थे. ये वाकई सिरदर्द था. लेकिन मुझे पता था कि ये भी बीत जाएगा."