Mahakumbh 2025: प्रयागराज में आगाज हुआ महाकुंभ मेला इस बार खास है क्योंकि यह 144 साल बाद आयोजित हो रहा है. यह पूर्ण कुंभ है, जो हर 12 साल में एक बार लगता है. पिछला पूर्ण कुंभ 2013 में था और इस बार अनुमान है कि संगम में 10 करोड़ श्रद्धालु स्नान करेंगे. लेकिन इस बार का कुंभ और भी खास है, क्योंकि इस बार केवल धरती पर नहीं, बल्कि देवता भी कुंभ स्नान करेंगे
कुंभ पुराण के अनुसार, महाकुंभ हर 144 साल में एक बार ही लगता है. हिंदू मान्यता के मुताबिक, देवताओं के 12 दिन मानवों के 12 सालों के बराबर होते हैं. इस हिसाब से महाकुंभ एक खास अवसर है, जब देवता और इंसान दोनों ही पवित्र स्नान करते हैं.
कूर्म पुराण में यह बताया गया है कि अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में देवता विजयी रहे और इसके बाद उन्होंने देवलोक में स्नान किया. जब धरती पर महाकुंभ होता है, तो देवलोक के द्वार खुलते हैं और सभी देवता अपने-अपने पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. इस प्रकार महाकुंभ का महत्व केवल धरती पर ही नहीं, बल्कि आकाश में भी होता है.
शिव पुराण के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर भगवान शिव और माता पार्वती अपने कैलाशवासी रूप में धरती पर वेश बदलकर आते हैं और कुंभ का दर्शन करते हैं. इस दौरान वे प्रयागराज और वाराणसी जैसे प्राचीन शहरों में घूमते हैं और प्रकृति का आनंद लेते हैं.