भारत का पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश 60 दिन से जल रहा है. अभी सात महीने पहले ही शेख हसीना बंपर मेज्योरिटी के साथ सत्ता में वापस आईं थी, लेकिन आरक्षण की आग ने न केवल शेख हसीना की सत्ता को जलाकर खाक कर दिया बल्कि उनको अपनी जमीन भी छोड़ कर भागना पड़ा. आखिर आरक्षण का वो मुद्दा क्या है जिसने बांग्लादेश को झलसा रखा है. रविवार को 98 लोगों की मौत हुई थी. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक बीते तीन हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ और इसी साल से वहां पर 80 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हो गया था. बाद में इसमें कई बार बदलाव किए गए. 2012 में इसमें आखिरी बार बदलाव हुआ तब 56% कोटा था. इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 10%, महिलाओं के लिए 10%, अल्पसंख्यकों के लिए 5% और 1% विकलांगों को दिया गया. साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन बीते महीने 5 जून को हाईकोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण देने का आदेश दिया.
इसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. बांग्लादेश में सोमवार को 4 लाख प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा मांगते हुए सड़कों पर उतरे. दोपहर होते-होते हसीना ने न सिर्फ इस्तीफा दिया बल्कि वे देश छोड़कर भी भाग गईं.