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India Daily

हलाल और झटका मीट का विवाद क्यों पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट?

हलाल और झटका मीट विवाद पर अब सुप्रीम कोर्ट में कानूनी घमासान मचने वाला है. संजीव कुमार नाम के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है और तीन राज्य सरकारों को तलब करने की अपील की है. याचिका में अपील की गई है कि ऑनलाइन फूड प्लेटफॉर्म्स समेत सभी होटल और रेस्टोरेंट  ये बताएं कि उन्हें परोसे जाना वाला मीट हलाल है या झटका मीट है. दोनों के बीच अंतर जरूर बता दें. 

याचिकाकर्ता चाहते हैं कि ऐसे खाद्य उत्पादों पर एक निशान बनाएं, जिस पर यह नजर आ सके कि ये हलाला मीट है या झटका मीट है. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि यूपी, एमपी और उत्तराखंड जैसे राज्य अगर झटका मांस नहीं देते हैं तो इसे संविधान के अनुच्छेद 17, 19 (1) जी और 15 का उल्लंघन माना जाए. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि पुलिस ऐसे आदेश को न मानने वाले रेस्त्रां मालिकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत केस चलाएं. 

हलाल मीट और झटका मीट में अंतर होता है. ऐसी मान्यता है कि मीट के लिए पशुओं के मारने का तरीका अलग-अलग होता है इस्लामिक नियमों के मुताबिक अगर किसी पशु की गर्दन रेतकर हत्या की जाती है तो ये हलाल है. अगर एक ही झटके में उसकी गर्दन को अलग कर दिया जाता है तो ये बलि है. जो शरियत के हिसाब से ठीक नहीं है. वीडियों में देखें क्या है मामला.

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