राधारानी को भगवान श्रीकृष्ण की प्रेयसी माना जाता है. राधारानी भगवान श्रीकृष्ण से 5 साल बड़ी थीं और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को पहली बार तब देखा था, जब कान्हा को माता यशोदा ने ओखल से बांध दिया था. श्रीकृष्ण को देखते ही राधारानी बेसुध हो गई थीं. उत्तरभारतीयों का मानना है कि राधा रानी पहली बार गोकुल अपने पिता वृषभानु के साथ आई थीं. वहीं, विद्वानों का मत है कि दोनों की मुलाकात संकेत तीर्थ पर हुई थी.
ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड 2 के अध्याय 49 के श्लोक 39 और 40 की मानें तो राधारानी श्रीकृष्ण की मामी बनी थीं. इसके अनुसार उनका संबंध वृषभानु ने रायाण नामक एक वैश्य से तय कर दिया था. रायाण माता यशोदा का सगा भाई था. वहीं, गर्ग संहिता के अनुसार एक जंगल में ब्रह्मा ने राधारानी और श्रीकृष्ण का बचपन में ही गंधर्व विवाह कराया था. श्रीकृष्ण के पिता उन्हें पास के भंडिर गांव ले जाते थे. वहां, राधारानी भी अपने पिता के साथ आती थी. यहीं पर दोनों का विवाह हुआ था.
राधा रानी की अष्टसखिया थीं. भगवान श्रीकृष्ण ने उनको अपनी मुरली दे दी थी. भगवान श्रीकृष्ण उनकी याद में मोरपंख लगाते थे. यह मोर पंख उनको राधा के साथ उपवन में नृत्य करते समय मिला था और राधा रानी ने उनको वैजयंती माला पहनाई थी.
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