IND Vs SA

RBI ने रेपो रेट कम कर दिया न्यू ईयर का गिफ्ट, जानें EMI कम होने से आपकी जेब में आएंगे कितने पैसे

RBI ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे यह अब 5.25 प्रतिशत हो गया है। रेपो रेट घटने का सीधा असर फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है.

Pinterest
Reepu Kumari

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में की गई कटौती आम लोगों की जेब पर सीधा असर डालती है. क्योंकि रेपो रेट ही वह दर है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं और इसी आधार पर उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें तय होती हैं.

लगातार दो बार स्थिर रहने के बाद इस बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती ने ग्राहकों के लिए राहत बढ़ाई है. खासतौर पर वे लोग जो फ्लोटिंग ब्याज दर पर होम, पर्सनल या ऑटो लोन चुका रहे हैं, उन्हें EMI में सीधी बचत का फायदा मिलने वाला है.

EMI पर कटौती का सीधा असर

जब भी रेपो रेट घटता है तो बैंकों की लेंडिंग रेट भी कम होती है. यदि आपका लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो नई दर लागू होते ही EMI में कमी देखी जाती है. इस वजह से हर महीने थोड़ी-थोड़ी बचत जुड़ती रहती है. दूसरी ओर, जो ग्राहक फिक्स्ड रेट पर लोन ले चुके हैं, उन्हें इस कटौती का फायदा नहीं मिलता. रेपो रेट की यह कमी उन उपभोक्ताओं के लिए राहत है जो लंबे समय से बढ़ती EMI से परेशान थे.

10 लाख के लोन पर कितना होगा फर्क

उदाहरण के तौर पर यदि आपके पास 10 लाख रुपये का 5 साल की अवधि वाला होम लोन है और ब्याज दर अभी 9 प्रतिशत थी, तो रेपो रेट घटने के बाद यह 8.75 प्रतिशत हो जाएगी. पहले EMI 20,758 रुपये थी, जो अब 20,637 रुपये पर आएगी. यानी हर महीने 121 रुपये की सीधी बचत होगी. यह छोटी रकम पांच साल में मिलाकर कुल 7,260 रुपये बचाती है, जो उपभोक्ता की जेब के लिए महत्वपूर्ण राहत है.

ग्राहक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

फ्लोटिंग रेट लोन वाले customers को यह कटौती अपने बैंक की वेबसाइट, नोटिफिकेशन या मोबाइल ऐप पर चेक करनी चाहिए. कई बार ब्याज दरें तुरंत अपडेट नहीं होतीं, ऐसे में बैंक से संपर्क जरूरी है. EMI कम करने या लोन अवधि समायोजित कराने के लिए ग्राहक अपने बैंक से रिक्वेस्ट कर सकते हैं. EMI में फर्क आपके फाइनेंसियल प्लानिंग को भी बेहतर बनाता है.

इस साल कितनी घटी रेपो रेट

इस साल की शुरुआत में रेपो रेट 6.50 प्रतिशत थी. लगातार दो बार स्थिर रहने के बाद अब यह 5.25 प्रतिशत पर आ गई है. यानी सालभर में कुल 1.25 प्रतिशत की कमी हुई है. इस कटौती ने उन लोगों को राहत दी है जो पहले से लोन चुका रहे हैं और नई किस्तों के बोझ को कम करना चाहते थे.

लोन प्लानिंग पर इसका असर

नया लोन लेने की सोच रहे ग्राहकों के लिए यह समय लाभकारी साबित हो सकता है. कम ब्याज दरों पर लिया गया लोन लंबे समय में काफी रकम बचाता है. हालांकि, ग्राहकों को अपनी आय, क्रेडिट स्कोर और लोन अवधि जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए. सही तुलना और समझदारी से लिया गया निर्णय वित्तीय बोझ को कम कर देता है.