RBI New Rules: जो लोग EMI पेमेंट नहीं करते हैं, उनके लिए एक जरूरी खबर है. भारतीय रिजर्व बैंक एक ऐसा सिस्टम पर बनाने पर काम कर रहा है, जिसके तहत जो लोग ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं, उनकी सर्विसेज को बंद कर दिया जाएगा. इसका सीधा मतलब है कि जो प्रोडक्ट यूजर्स ने लिया है अगर उसकी ईएमआई नहीं दी जाती है तो उसकी सर्विसेज रिमोटली बंद कर दी जाएंगी.
इसका उद्देश्य मोबाइल फोन, टीवी, वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट के लिए छोटे लोन की वसूली करना आसान करना है. आरबीआई ने इस मामले पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ चर्चा की है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रिजर्व बैंक को एक अहम पहलू पर विचार करना होगा. फोन, लैपटॉप या इस तरह के प्रोडक्ट बिना किसी गारंटी के दिए जाते हैं. यही कारण है कि इनकी ब्याज दर 14-16% ज्यादा होती हैं. ऐसे में अगर यह नया सिस्टम लागू किया जाता है तो ये लोन सिक्योर लोन की कैटेगरी में आ जाते हैं. इसलिए, बैंकों को ये अधिकार देने से पहले, लोन की कैटेगरी में बदलाव करना होगा. इससे ब्याज दर कम की जा सकेंगी.
RBI जिस सिस्टम पर विचार कर रहा है, वह मोबाइल, स्मार्ट टीवी, वॉशिंग मशीन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि पर लागू होगा. EMI पर खरीदे गए प्रोडक्ट में पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप या सॉफ्टवेयर होंगे. अगर ग्राहक किस्त का भुगतान नहीं करते हैं तो वह सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट को लॉक कर देगा.
इस नियम के तहत लोगों का प्रोडक्ट लॉक करते समय उनके डाटा को सुरक्षित रखा जाएगा. लेकिन अगर बैंकों को इन डिवाइसेज को लॉक करने की अनुमति दी जाती है तो उन्हें लाखों लोगों के डाटा तक पहुंच मिल जाएगी. यह डाटा यहीं से लीक हो सकता है. इससे ब्लैकमेलिंग और फिरौती की घटनाएं बढ़ सकती हैं. RBI और बैंकों को इस पहलू पर विचार करना होगा.
बता दें कि मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी आदि में यह नियम लागू करना आसान है. इनके सॉफ्टवेयर को रिमोट से कंट्रोल किया जा सकता है. कई देश ऐसे हैं जिनमें कार या बाइक में इस तरह की व्यवस्था दी जाती है. यहां EMI का भुगतान न करने पर कार स्टार्ट नहीं होती है. वहीं, फ्रिज, वॉशिंग मशीन आदि जैसे अप्लयांसेज में यह संभव है. हालांकि, भारत में फिलहाल यह सर्विस सीमित है. यह फर्नीचर आदि जैसे सामान पर काम नहीं करेगा.
सबसे पहले फायदों की बात करते हैं. तो इससे लोन देने वाले लोगों का विश्वास बढ़ता है. कमजोर क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को भी प्रोडक्ट खरीदने का मौका मिलता है. वहीं, बात करें इनके नुकसान की, तो जरूरी सर्विसेज का बंद हो जाना, यूजर्स के अधिकारों पर खतरा आदि इसमें शामिल हैं.